
सरायकेला: सरायकेला के कुद्रसाई घाट पर तीसरे दिन छठ व्रति अपने पारंपरिक श्रद्धा के साथ डूबते सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हुए अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पुत्र-पुत्री की लंबी आयु की कामना कर रहे थे. खरकाई नदी के किनारे स्थित इस घाट पर व्रति जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दे रहे थे, जो इस पर्व का अहम हिस्सा है.
सूर्य देव को अर्घ्य देने की मान्यता
इस विशेष समय में सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं, और यह मान्यता है कि इस समय अर्घ्य देने से जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. व्रति इस समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे उनके जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है.
आस्था और विश्वास का पर्व
यह पर्व सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की एक परंपरा भी है. व्रतियों का विश्वास है कि सूर्य देव और छठी मैया के आशीर्वाद से उनका जीवन सुंदर और समृद्ध बनता है.
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