
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति अब उनके अपने सलाहकारों के बीच विवाद की वजह बन गई है. व्हाइट हाउस के दो वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार — पीटर नवारो और उद्योगपति एलन मस्क — अब इस नीति को लेकर आमने-सामने हैं.
नवारो ने मस्क पर आरोप लगाया है कि वे अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए टैरिफ का विरोध केवल अपनी कंपनियों के फायदे के लिए कर रहे हैं. वहीं, एलन मस्क ने नवारो की योग्यता, शिक्षा और आर्थिक दृष्टिकोण को ही सवालों के घेरे में ला दिया है.
टेस्ला और टैरिफ: नवारो का सीधा हमला
फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में पीटर नवारो ने कहा कि मस्क ऊर्जा विभाग से जुड़े मामलों में भले ही अच्छा काम कर रहे हों, लेकिन टैरिफ का विरोध उनकी कंपनियों के आर्थिक हितों से जुड़ा हुआ है.
नवारो के मुताबिक, टेस्ला बड़ी मात्रा में ऑटो पार्ट्स चीन, मैक्सिको, जापान और ताइवान से आयात करती है. ऐसे में टैरिफ से टेस्ला को सीधा नुकसान हो सकता है, और मस्क इसी कारण से इसका विरोध कर रहे हैं.
मस्क का पलटवार: “डिग्री नहीं, दृष्टिकोण ज़रूरी है”
एलन मस्क ने नवारो के आरोपों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सिरे से खारिज किया. उन्होंने नवारो की आर्थिक सोच और हार्वर्ड से प्राप्त पीएचडी पर व्यंग्य करते हुए कहा, “यह डिग्री असल दुनिया की सच्चाइयों से दूर कर देती है.”
एक अन्य पोस्ट में मस्क ने लिखा, “यह समस्या उनके घमंड और सोच की है.” मस्क ने यह भी संकेत दिया कि नवारो की नीतियाँ अमेरिका के दीर्घकालिक आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचा सकती हैं.
बदलती समीकरण: ट्रंप और मस्क के बीच दरार?
कभी ट्रंप के प्रमुख समर्थक रहे मस्क अब उनकी नीतियों से दूरी बना रहे हैं. हाल ही में घोषित “लिबरेशन डे” टैरिफ के बाद से मस्क ने सार्वजनिक मंचों पर ट्रंप का समर्थन करना लगभग बंद कर दिया है.
इस टैरिफ नीति की वजह से बाजार में गिरावट आई है, जिससे मस्क को लगभग 30 अरब डॉलर (लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये) का निजी नुकसान हुआ. इस बदलाव ने इस बहस को जन्म दिया है कि क्या मस्क की नीतिगत असहमति का कारण उनका आर्थिक नुकसान है.
ट्रंप के लिए अगली चुनौती: किस ओर झुकेंगे पलड़े?
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप इस अंदरूनी टकराव को कैसे सुलझाते हैं. क्या वे नवारो की सख्त व्यापारिक नीति को बनाए रखेंगे या फिर मस्क जैसे बिज़नेस लीडर्स की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए कोई संतुलित रास्ता अपनाएंगे?
वैश्विक असर: सिर्फ अमेरिका नहीं, पूरी दुनिया पर प्रभाव
यह विवाद केवल अमेरिकी आंतरिक राजनीति का मामला नहीं है. टैरिफ से जुड़ी यह बहस वैश्विक व्यापार व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है. जब अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में नीतिगत अस्थिरता आती है, तो उसका असर पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिरता पर पड़ता है — विशेषकर तब जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही चुनौतियों से जूझ रही हो.
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