
धनबाद : धनबाद जिले के राजकीय डीएवी उच्च विद्यालय, टासरा की स्थिति राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है। यहां छात्र और छात्राएं अपनी जान हथेली पर रखकर स्कूल आने को मजबूर हैं। स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है, बारिश के दौरान छत टपकती है, प्लास्टर दीवारों से गिरता है और छज्जे टूट चुके हैं। बारिश के मौसम में स्थिति और भयावह हो जाती है। कक्षाओं में पानी भर जाता है जिससे न केवल पढ़ाई बाधित होती है, बल्कि बिजली के संपर्क में आने से करंट लगने का खतरा भी मंडराता रहता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्कूल में स्वच्छ पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है, छात्र-छात्राएं दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। स्कूल में मिड-डे मील के दौरान कई बार भोजन में कीड़े मिलने की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिससे बच्चों की सेहत पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। छात्रों की माने तो बारिश के मौसम में क्लास के अंदर बैठना मुश्किल हो जाता है और करंट लगने का डर बना रहता है। वहीं छात्रों का कहना है कि कभी-कभी मिड-डे मील में कीड़े निकल आते हैं और पीने का पानी भी साफ नहीं होता। बच्चों की ये बातें प्रशासन के दावों को आईना दिखाने के लिए काफी हैं।
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जिले में हैं कुल 170 सरकारी विद्यालय

धनबाद जिले में कुल 170 सरकारी विद्यालय हैं, जिनमें से कई स्कूलों की स्थिति इस स्कूल से अलग नहीं है। कहीं भवन जर्जर हैं, तो कहीं शिक्षक नहीं। कई स्कूलों में दो से तीन कक्षाओं को मिलाकर एक साथ पढ़ाई करवाई जा रही है, जिससे शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है। धनबाद के उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा है कि जिन स्कूलों की स्थिति खराब है, उनकी सूची बनाई जा रही है और मरम्मत का काम जल्द शुरू किया जाएगा। हालांकि यह आश्वासन नया नहीं है, पहले भी कई बार ऐसे वादे किए जा चुके हैं। सवाल अब यह है कि जब तक मरम्मत होगी, तब तक अगर कोई हादसा हो गया तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव केवल घोषणाओं और बजट से नहीं होता, बल्कि बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण देना प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
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