
जमशेदपुर: हरियाली अमावस्या, जिसे सावन अमावस्या भी कहा जाता है, श्रावण मास की एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. यह अमावस्या शिवरात्रि के ठीक अगले दिन आती है, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है.
इस दिन पितरों के तर्पण, नवग्रह शांति और भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है. माना जाता है कि इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का मार्ग खोलते हैं.
कब है हरियाली अमावस्या?
तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2025, प्रातः 2:29 बजे
तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2025, रात्रि 12:41 बजे
उदया तिथि के अनुसार: 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी.
शुभ योगों की भरमार
इस बार हरियाली अमावस्या पर कई विशेष योग बन रहे हैं जो इसे और भी अधिक शुभ बनाते हैं:
गुरु पुष्य योग: ज्ञान, समृद्धि और धार्मिक उन्नति का संकेत
सर्वार्थ सिद्धि योग: हर कार्य में सफलता का योग
अमृत सिद्धि योग: स्वास्थ्य, दीर्घायु और शुभता प्रदान करने वाला योग
धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक लाभ
पितृ तर्पण और श्राद्ध
इस दिन पवित्र नदियों या तालाबों के किनारे पितरों के लिए तर्पण किया जाता है. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
नवग्रह शांति पूजा
ग्रहों के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए नवग्रह शांति अनुष्ठान किया जाता है. इससे जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा आती है.
भगवान शिव की आराधना
सावन शिव का प्रिय महीना होता है. इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पण, बेलपत्र, आक-मदार के फूल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
प्रकृति संरक्षण और पौधारोपण
इस दिन पीपल, आम, आंवला, नीम और बरगद जैसे पौधों को रोपना शुभ माना जाता है. यह प्रकृति सेवा के साथ-साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी होता है.
हरियाली अमावस्या पर करें ये शुभ कार्य
गंगाजल मिलाकर स्नान करें. यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए उपयोगी है.
स्नान के बाद ध्यान करें और अपने इष्टदेव का स्मरण करें.
भगवान शिव की विशेष पूजा करें. आक और मदार के फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
पितरों के लिए तर्पण अवश्य करें.
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दान दें.
पीपल के पेड़ की पूजा करें और फलदार पौधे लगाएं.
घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.
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