
चाकुलिया : चाकुलिया वन क्षेत्र के जंगलों में गर्मी की दस्तक होते ही आग लगने का दौर शुरू हो गया है. यह वन क्षेत्र जमशेदपुर प्रमंडल में सर्वाधिक अग्नि प्रभावित माना जाता है. जंगल में आग लगने की शुरुआत विगत शनिवार की दोपहर बड़ामारा पंचायत में चौठिया के पास स्थित बूढ़ीशोल जंगल हो गयी है. इस आग ने जंगल में साल और काजू के सैकड़ों पेड़ों को अपनी चपेट में ले लिया. इससे सैकड़ों पेड़ झुलस गए. वहीं छोटे-मोटे वन्य प्राणियों और पंछियों की भी मौत हुई. संसाधनों की कमी से वन विभाग जंगल में लगी भीषण आग को बुझाने में नाकाम रहता है. वन विभाग के कर्मचारी और वन सुरक्षा समिति के सदस्य आग बुझाने की कोशिश करते हैं.
विदित हो कि चाकुलिया वन क्षेत्र में गर्मी शुरू होते हैं जंगलों में आग लगने का दौर शुरू हो जाता है.
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शरारती तत्वों द्वारा लगाई जाती है आग
यह आग शरारती तत्वों द्वारा लगाई जाती है। लकड़ी और वनोत्पाद चुनने वाले ग्रामीण भी आग लगा देते हैं. गर्मी के मौसम में जंगल में झाड़ियां सूख जाती हैं. जमीन पर गिरे पेड़ों के पत्ते भी सूख जाते हैं. इसलिए आग तेजी से फैलती है और भयावह वह रूप ले लेती है। इस आग से भारी नुकसान होता है. कभी-कभी तो जंगल की आग जंगल से सटे गांव तक पहुंच जाती है. इस स्थिति में आग बुझाने के लिए बहरागोड़ा से दमकल गाड़ी मंगानी पड़ती है. आग से सर्वाधिक नुकसान काजू के पेड़ों को होता है. फूल और फलों के मौसम में आग से काजू के हजारों पेड़ जल जाते हैं। इससे काजू का उत्पादन भी कम होता है.
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अकाशिया के जंगल तो आग से जलकर पूरी तरह बर्बाद हो जाते हैं
वहीं काजू वनों का दायरा भी घटता जा रहा है. आग से प्राकृतिक साल जंगलों को भी भारी नुकसान होता है. क्योंकि साल जंगल में बरसात के मौसम में साल पेड़ों के रूट से निकले पौधे जल कर राख हो जाते हैं. अकाशिया के जंगल तो आग से जलकर पूरी तरह बर्बाद हो जाते हैं. जंगल की आग की चपेट में जंगल में रहने वाले हाथी भी आ सकते हैं. इन दिनों इस वन क्षेत्र के जंगलों में कई हाथी विचरण कर रहे हैं. प्रभारी वन क्षेत्र पदाधिकारी दिग्विजय सिंह के मुताबिक जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए विभाग के कर्मचारी और वन सुरक्षा समिति के ग्रामीण तत्पर पर रहते हैं. जंगल में आग लगने की सूचना पाकर वन विभाग की क्विक रिस्पांस टीम तुरंत पहुंचती है और आग पर काबू पाती है.
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