
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने सरहुल त्योहार की शोभायात्रा के दौरान राजधानी रांची के विभिन्न इलाकों में पांच से दस घंटे तक बिजली आपूर्ति रोके जाने पर स्वतः संज्ञान लिया है. अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार और विद्युत आपूर्ति निगम से जवाब तलब किया है.
बिजली कटौती का कारण और जनहित याचिका
मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रौशन की खंडपीठ ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया है. अदालत ने पूछा कि सरहुल के दिन बिजली आपूर्ति घंटों बाधित क्यों रही? आम जनता को हुई असुविधा का पूर्वानुमान क्यों नहीं लगाया गया? क्या ऐसे हालात से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक योजना बनाई गई थी?
अदालत के निर्देश: 9 अप्रैल तक जवाब अनिवार्य
कोर्ट ने सरकार और विद्युत आपूर्ति निगम को नौ अप्रैल तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. गुरुवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सफाई दी कि 2000 में रामनवमी शोभायात्रा के दौरान झंडे के बिजली तारों से टकराने के कारण करंट फैल गया था, जिससे 29 लोगों की मौत हो गई थी. भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए धार्मिक शोभायात्राओं के दौरान बिजली आपूर्ति बंद करने की नीति अपनाई गई है.
क्या रामनवमी पर भी होगी बिजली कटौती?
सरकार ने अदालत को बताया कि 1 अप्रैल को सरहुल के दौरान भी एहतियाती कदम उठाते हुए पांच से दस घंटे तक बिजली आपूर्ति रोकी गई थी. आगे, 6 अप्रैल को रामनवमी की शोभायात्रा और 6 जुलाई को मुहर्रम जुलूस के दौरान भी बिजली कटौती की आवश्यकता होगी.
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: अनिवार्य सेवाएं बाधित न हों
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय जरूर किए जाएं, लेकिन बिजली जैसी अनिवार्य सेवा बाधित नहीं होनी चाहिए. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 9 अप्रैल की तारीख तय की है.
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