
रांची : झारखंड में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले में फंसे राज्य के वरीय आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह, उत्पाद निरीक्षक सुधीर दास, सुधीर कुमार और अन्य आरोपियों को सोमवार को ACB की विशेष अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया, जहां अदालत ने सभी की न्यायिक हिरासत 23 जून 2025 तक बढ़ा दी.
इस घोटाले के खुलासे के बाद राज्य सरकार और प्रशासन में हलचल तेज हो गई है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 21 मई को विनय चौबे को पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जांच में यह बात सामने आई कि सरकारी शराब के थोक एवं फुटकर बिक्री में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गई थीं, जिसमें उत्पाद विभाग के कई अधिकारी सीधे तौर पर शामिल पाए गए.
घोटाले की पृष्ठभूमि
ACB को मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, झारखंड में शराब की खरीद, स्टोरेज और बिक्री के बीच एक संगठित गड़बड़ी की गई, जिससे सरकारी राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. बताया जा रहा है कि सरकारी गोदामों में रखी शराब को कागजों पर ही ‘बेच’ दिया गया था, जबकि वास्तविक बिक्री बाजार में अनाधिकृत चैनलों से की जा रही थी. इस घोटाले का सीधा लाभ निजी ठेकेदारों और कुछ अधिकारियों को हुआ.
निलंबन और अन्य कार्रवाइयां
राज्य सरकार ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही चौबे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का एक अलग मामला भी दर्ज किया गया है। जांच एजेंसियों के अनुसार, चौबे के पास कुछ अघोषित संपत्तियों और बेनामी लेन-देन के संकेत मिले हैं, जिनकी जांच अभी जारी है.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घोटाले को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह मामला प्रशासनिक भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है, और इसकी CBI जांच कराई जानी चाहिए. वहीं सत्ताधारी दल ने कहा है कि कानून अपना काम कर रहा है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा . ACB सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले में और भी बड़े नामों की संलिप्तता की जांच की जा रही है.कुछ अन्य अधिकारियों और शराब आपूर्तिकर्ताओं को भी जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है. साथ ही, ED (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की भी छानबीन की जा रही है.
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