
बरेली: तमिलनाडु के लोकप्रिय अभिनेता और ‘तमिलगा वेत्री कझगम’ (TVK) के प्रमुख थलापति विजय एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं. उत्तर प्रदेश के बरेली में एक सुन्नी मुस्लिम संगठन ने उनके विरुद्ध फतवा जारी किया है.
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष और चश्मे दारुल इफ्ता के मुख्य मुफ्ती, मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने विजय पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि विजय की फिल्में और हाल ही में आयोजित इफ्तार कार्यक्रम मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दर्शाते हैं.
फिल्म ‘बीस्ट’ बनी विवाद का केंद्र
मौलाना रजवी के अनुसार, विजय की 2022 में रिलीज़ फिल्म ‘बीस्ट’ में मुस्लिम समुदाय को आतंकवाद और उग्रवाद से जोड़कर प्रस्तुत किया गया है.
उनका आरोप है कि फिल्म में मुस्लिम चरित्रों को ‘शैतान’ और ‘राक्षस’ जैसे शब्दों से जोड़ा गया, जो न सिर्फ अपमानजनक है बल्कि समुदाय के विरुद्ध घृणा फैलाने वाला है.
“वोट के लिए दिखाया जा रहा है दिखावटी प्रेम”
मौलाना ने दावा किया कि अब विजय राजनीतिक मंच पर उतरने के प्रयास में मुस्लिम समुदाय के प्रति प्रेम और सहयोग का दिखावा कर रहे हैं.
उन्होंने इसे एक “चुनावी रणनीति” करार देते हुए कहा कि यह भावना सच्चे सामाजिक समरसता की नहीं, बल्कि वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा है.
इफ्तार पार्टी में ‘शराबी-जुआरी’ शामिल होने का आरोप
चेन्नई में 8 मार्च को वाईएमसीए ग्राउंड में आयोजित इफ्तार पार्टी को लेकर भी मौलाना ने आपत्ति जताई है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस आयोजन में ऐसे लोग शामिल हुए जो न तो रोज़ा रख रहे थे, न ही इस्लामी नियमों का पालन कर रहे थे.
उनके अनुसार, इस कार्यक्रम में रमज़ान की पवित्रता का उल्लंघन हुआ. मौलाना ने इसे “धार्मिक मूल्यों की उपेक्षा” बताते हुए तमिलनाडु के मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे विजय से दूरी बनाएं.
धार्मिक राजनीति बनाम लोकप्रियता की जंग?
थलापति विजय का राजनीतिक उदय तमिलनाडु में तेज़ी से हो रहा है, लेकिन इस बीच धार्मिक समुदायों की नाराज़गी और विरोध ने उनकी छवि पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं.
अब सवाल उठता है—क्या विजय सच में एक समावेशी नेता बनना चाहते हैं, या यह सब एक रणनीतिक अभिनय है?
इसे भी पढ़ें : Deoghar: रात में दिल्ली से देवघर के लिए रात्रि हवाई सेवा शुरू, पहली फ्लाइट का वाटर कैनन से स्वागत