West Singhbhum: गुवा खदान के पर्यावरणीय प्रभाव पर प्रबंधन के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा, आंदोलन की तैयारी

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गुवा: सारंडा के छोटानागरा पंचायत के जोजोगुटु, बाईहातु, राजाबेड़ा समेत कई गांवों के ग्रामीण गुवा खदान प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. इन गांवों के लोग गुवा खदान से रानी चुआं पहाड़ी पर लगातार डंप की जा रही मिट्टी, लौह पत्थर और अयस्क के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं से परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि खदान प्रबंधन ने पिछले कई वर्षों से उन्हें केवल झूठे आश्वासन दिए हैं, जिसके चलते अब वे उत्पादन ठप करने का फैसला करने के लिए मजबूर हो गए हैं.

गांव में एकजुटता और निर्णायक संघर्ष की तैयारी

27 फरवरी को जोजोगुटु गांव में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें राजाबेड़ा मुंडा जामदेव चाम्पिया, मुखिया मुन्नी देवगम, राजेश सांडिल और सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए. बैठक में गुवा खदान से हो रही समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की गई. ग्रामीणों ने बताया कि गुवा खदान प्रबंधन खदान की ओवरबर्डन मिट्टी और लौह पत्थर को रानी चुआं पहाड़ी पर डंप कर रहा है. इसके कारण उनकी उपजाऊ जमीन बंजर बनती जा रही है, जबकि बारिश के पानी के साथ मलबा कृषि भूमि में जमा हो जाता है.

जल स्रोत और वन्यजीवों पर असर

ग्रामीणों का कहना है कि खदान से निकला मलबा और पत्थर नजदीकी कोयना नदी में जमा हो रहे हैं, जिससे नदी की गहराई धीरे-धीरे खत्म हो रही है. इसके कारण नदी का जल प्रवाह और जल संग्रहण प्रभावित हो रहा है. पहले जहां नदी का पानी पूरे साल बहता था, अब वह गर्मियों में सूखने लगता है. इस कारण जलापूर्ति में समस्या उत्पन्न हो गई है और क्षेत्र के वन्यजीवों और पालतू जानवरों को भी पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.

वन्यजीवों और पर्यावरण पर प्रभाव

रानी चुआं पहाड़ी से गिर रहे लौह अयस्क पत्थर और मिट्टी से सारंडा जंगल भी प्रभावित हो रहा है. कई कीमती पेड़-पौधे दबकर नष्ट हो गए हैं, जिससे जंगल का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है. सारंडा जंगल जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन खदान से हो रही डंपिंग इस पूरे पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा बन गई है.

झूठे वादों के खिलाफ निर्णायक कदम

मुखिया मुन्नी देवगम और मुंडा जामदेव चाम्पिया ने कहा कि गुवा खदान प्रबंधन पिछले 5-6 वर्षों से झूठे आश्वासन दे रहा है कि करोड़ों की लागत से आरसीसी चेकडैम बनाया जाएगा, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. इसके अलावा, बेरोजगार युवाओं को खदान में रोजगार देने का वादा किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ.

आंदोलन की घोषणा और चेतावनी

बैठक में शामिल सभी ग्रामीणों ने एकमत से निर्णय लिया कि अब वे खदान प्रबंधन के खिलाफ निर्णायक संघर्ष करेंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही एक बड़ी बैठक आयोजित कर सभी प्रभावित गांवों के ग्रामीण एकजुट होंगे और अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे. ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो वे गुवा खदान में उत्पादन ठप कर देंगे. इसके लिए धरना-प्रदर्शन और विरोध मार्च निकाले जाएंगे.

मांगें और समाधान की अपील

ग्रामीणों ने राज्य सरकार, वन विभाग और जिला प्रशासन से अपील की कि इस समस्या का समाधान शीघ्र निकाला जाए. उन्होंने निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. रानी चुआं पहाड़ी पर आरसीसी गार्डवाल और चेकडैम का निर्माण शीघ्र किया जाए.
2. डंपिंग से प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए और उनकी जमीन को उपजाऊ बनाने के उपाय किए जाएं.
3. कोयना नदी की सफाई कर उसकी गहराई को बहाल किया जाए.
4. सारंडा जंगल के पर्यावरणीय नुकसान को रोकने के लिए विशेष योजना बनाई जाए.
5. प्रभावित गांवों के बेरोजगार युवाओं को खदान में रोजगार दिया जाए.
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे आंदोलन जारी रखेंगे और खदान का कार्य पूरी तरह से रोक देंगे.

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