
गुवा: पश्चिम सिंहभूम जिले के किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा और चिरिया लौह अयस्क खदानों में कई वर्षों से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. जबकि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि इन पदों पर नियुक्ति स्थानीय स्तर पर की जानी चाहिए.
नियुक्ति प्रक्रिया में विलंब ने बढ़ाई बेरोजगारी
आदिवासी हो समाज युवा महासभा के केंद्रीय सचिव गोपी लागुरी ने इस संदर्भ में एक लिखित प्रतिवेदन और प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि खदानों में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है और पहले से ही विकास के मामले में पिछड़ा हुआ माना जाता है. इसके बावजूद, रोजगार की संभावनाओं से भरी खदानों में स्थानीय युवाओं को नियुक्ति नहीं मिल रही है.
तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर चुके युवा बेरोजगार
लागुरी ने कहा कि बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासी युवा आईटीआई, डिप्लोमा और अन्य तकनीकी पाठ्यक्रमों में शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं, ताकि उन्हें खदानों में रोजगार मिल सके. लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया बंद होने के कारण वे बेरोजगार बैठे हैं. इस बेरोजगारी के कारण स्थानीय आदिवासी युवा अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. यह न सिर्फ इस क्षेत्र के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर रहा है, बल्कि विकास की गति को भी रोक रहा है.
नियुक्ति प्रक्रिया की जल्द शुरुआत की मांग
स्थानीय समुदाय ने आग्रह किया है कि किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा और चिरिया के लौह अयस्क खदानों में कम से कम 250-250 पदों पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए. इससे न केवल क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि आदिवासी समाज को भी सामाजिक-आर्थिक संबल मिलेगा. इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता और खदान प्रबंधन की लापरवाही के कारण हजारों युवा वर्षों से बेरोजगार बैठे हैं. गोपी लागुरी ने कहा कि संबंधित अधिकारी, विभाग और खनन कंपनियां इस मुद्दे को गंभीरता से लें और उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए जल्द से जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें.
इसे भी पढ़ें : Adityapur: सीतारामपुर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और इंटेक वेल की निर्माण प्रक्रिया में देरी, जनकल्याण मोर्चा ने उठाया सवाल