घाटशिला: घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के लिए रविवार शाम चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। अब 11 नवंबर को मतदान होना है। प्रचार के आखिरी दिन झामुमो और भाजपा दोनों ने पूरी ताकत झोंक दी।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रत्याशी सोमेश सोरेन के समर्थन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घाटशिला में रोड शो कर जनसंपर्क किया। मुख्यमंत्री के साथ झामुमो की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन भी चुनाव मैदान में उतरीं। हेमंत सोरेन ने जनता से अपील की कि “11 नवंबर को तीर-धनुष के निशान पर मतदान कर झारखंडी अस्मिता को मजबूत करें।”
प्रचार के आखिरी दिन भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन के समर्थन में उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने प्रेस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि “झारखंड आंदोलनकारी परिवार को बैल कहना बेहद अपमानजनक है।” उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन का यह बयान आदिवासी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। चंपाई ने कहा, “मैंने झारखंड आंदोलन के लिए जेल झेली, संघर्ष किया, लेकिन खुद को कभी किसी जाति या परिवार तक सीमित नहीं रखा। सरकार बताए कि उसने आदिवासियों और किसानों के हित में क्या ठोस काम किए हैं?”
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हेमंत का बयान बना विवाद का कारण
दरअसल, इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि “कुछ लोग झामुमो का खाकर बैल की तरह मोटे हो गए, लेकिन जब खेत जोतने का समय आया तो दूसरी ओर चले गए।” इस बयान को लेकर राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है।
“अबुआ सरकार ने आदिवासियों की आवाज दबाई” – चंपाई
चंपाई सोरेन ने कहा कि हेमंत सरकार में आदिवासियों की आवाज को दबाने का काम हुआ है।
उन्होंने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज को “शर्मनाक” बताया और कहा कि “यह सरकार न तो जनता की भावनाओं का सम्मान करती है, न ही आंदोलनकारियों के संघर्ष का।” उन्होंने साफ किया कि उन्होंने अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए कभी पार्टी पर दबाव नहीं डाला।
“जनता सब जानती है, अब वही तय करेगी कि किसके साथ न्याय हुआ और किसके साथ छल,” उन्होंने कहा।
जनता के फैसले पर सबकी नजर
अब सभी की निगाहें 11 नवंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हैं। हेमंत सोरेन ने दावा किया कि जनता “2 नंबर पर तीर-धनुष” को भारी मतों से जिताएगी, जबकि भाजपा ने इसे “झारखंड की अस्मिता की लड़ाई” बताया है।