JPSC Result 2025: जेपीएससी में Deoghar की धमक, डिजिटल युग में स्मार्ट पढ़ाई बनी सफलता की चाबी

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देवघर:  सारठ प्रखंड के बभनगामा निवासी और लोहरदगा के एसडीओ ठाकुर गौरीशंकर शर्मा की पुत्री मीनाक्षी ने झारखंड वित्त सेवा परीक्षा में पूरे राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया है. अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के बावजूद मीनाक्षी ने खोरठा जैसे स्थानीय भाषा विषय को चुना. वे बचपन से मेधावी रही हैं. उनके चाचा डॉ. विजय शंकर शहर के जाने-माने शिक्षक हैं. मीनाक्षी ने अपनी सफलता का श्रेय निरंतर अभ्यास और स्मार्ट अध्ययन को दिया.

कुमार ऋषभ का चयन प्रशासनिक सेवा में
मोदीबांध, सारठ निवासी स्वर्गीय काशी नाथ झा के पुत्र कुमार ऋषभ का चयन झारखंड प्रशासनिक सेवा में हुआ है. वे पहले ही UPSC में IRS में चयनित होकर वर्तमान में देवघर में कार्यरत हैं. ऋषभ की उपलब्धि ने उनके गांव और परिवार का नाम रोशन किया है.

विशाल आनंद ने पहले ही प्रयास में 148वीं रैंक पाई
जसीडीह के घोरलास गांव निवासी विशाल आनंद ने केवल 25 वर्ष की उम्र में जेपीएससी में 148वां रैंक प्राप्त कर सफलता अर्जित की. उनके पिता ओमकार राय एक निजी शिक्षक हैं और माता बेबी देवी गृहिणी हैं. विशाल ने प्रारंभिक शिक्षा जसीडीह पब्लिक स्कूल से और 12वीं की पढ़ाई बोकारो से की है.

प्रशांत मंडल को मिला 71वां स्थान
मोहनपुर प्रखंड के घुटिया बड़ाअसहना गांव निवासी शिक्षक प्रदीप कुमार मंडल व रिंकू देवी के पुत्र प्रशांत मंडल ने जेपीएससी परीक्षा में 71वां स्थान पाया. प्रशांत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मधुपुर के महेंद्र मुनि सरस्वती शिशु मंदिर से, प्लस टू डीएवी से, और भूगोल में स्नातक दिल्ली विश्वविद्यालय से किया है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया.

नेहा रानी ने प्रथम प्रयास में पाया 228वां रैंक
बंपास टाउन बरियारबांधी की रहने वाली नेहा रानी ने प्रथम प्रयास में ही जेपीएससी मुख्य परीक्षा में सफलता प्राप्त की. उन्होंने प्रशासनिक सेवा में 228वां रैंक हासिल किया. उनके पिता राजेश कुमार दास सरकारी शिक्षक हैं और माता नीतू आनंद गृहिणी हैं. नेहा ने DSV देवघर से मैट्रिक और प्लस टू, बीएचयू से स्नातक और स्नातकोत्तर किया है. वर्तमान में वे रांची विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.

पढ़ाई के प्रति अनुशासन और स्मार्ट रणनीति बनी सफलता की कुंजी
सभी चयनित अभ्यर्थियों ने नियमित 8 से 10 घंटे की पढ़ाई, निरंतर अभ्यास और डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद को अपनी सफलता का प्रमुख कारण बताया. उन्होंने युवाओं को परिश्रम और धैर्य से तैयारी करने की प्रेरणा दी.

 

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