
बहरागोड़ा: बरसोल : धान का कटोरा कहा जाने वाला बहरागोड़ा प्रखंड में इन दोनों गर्माधान की कटाई जोरों पर चल रही है.वहीं गरमा धान के लिए सरकारी धान क्रय केंद्र नहीं खुला है. सरकारी धान क्रय केंद्र के नहीं खुलने से किसान धान कटाई के तुरंत बाद औने पौने दाम में अपने धान बेचने को मजबूर हैं. आलम यह है कि बिचौलिये किसानों के धान को औने-पौने मूल्य पर खरीदकर उनकी बेबसी का फायदा उठा रहे हैं. बिचौलिये-साहूकार बेफिक्र होकर बिना डर के धान को किसानों से 15 से 16 रुपये प्रति किलो खरीद रहे हैं.
किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं
बिचौलिए एवं साहूकारों द्वारा धान ट्रकों के जरिए पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा तथा देश के अन्य राज्य में स्थित राइस मिल में भेजने का काम किया जा रहा है, जिसके कारण यहां के किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.उधर क्षेत्र के किसान रिंकू प्रधान, अजय दास, संजय दास, पवन पाल, आसीस देहुरी, शिबू प्रधान, श्रीबस दास ,शमल मैति,पतित पाल आदि ने बताया कि धान केंद्र नहीं खुलने से किसान बिचौलियों के पास 16 रुपये प्रति किलो धान बेचने को मजबूर हैं. बिचौलिया वर्ग के पास 16 रुपये प्रति किलो धान बेचना पड़ा. अगर बरसाती धान के तर्ज पर गरमा धान क्रय केंद्र बहरागोड़ा प्रखंड में खुल जाता, तो इतने कम दाम में हम धान बेचने को मजबूर नहीं होते.
मजबूरन 15-16 रुपये में बेचना पड़ रहा है
इन दिनों बादल छा रहा है. बारिश कभी भी हो सकती है. इसलिए धान को साफ कर व्यापारियों के पास मजबूरन 15-16 रुपये में बेचना पड़ रहा है.वहीं गांव गांव घूम रहे बिचौलिया के हाथों धान बिक्री होने से तुरंत नकद मिल जाते हैं. साथ ही ये व्यापारी छोटे-छोटे वाहनों से धान खरीदारी कर बहरागोड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित बड़े-बड़े व्यापारियों के हवों में यह धान बेच दिया करते हैं. जहां से बड़े-बड़े वाहनों में लाद कर दूसरे राज्य में भेज दिया जाता है.जबकि सरकारी स्तर से धान खरीद की प्रक्रिया सुस्त है. बताया गया कि लेम्प्स को धान बेचने पर काफी दिनों बाद पैसे का भुगतान किया जाता है।
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