Jharkhand Politics: क्या झारखंड सरकार में सबकुछ ठीक है? क्या है कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफत के मायने आइए जानते हैं

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रडार न्यूज डेस्क

रांचीः  झारखंड विधानसभी में बजट सत्र के दौरान पिछले दिनों सत्ता पक्ष के विधायकों ने खुले तौर सदन के पटल पर सरकार द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में हुए कथित घोटाले मामले में की गई कार्रवाई सवाल उठाते हुए मंत्री को घेरने का प्रयास किया. इससे बैठे बिठाए जहां विपक्ष को हेमंत सरकार के खिलाफ एक मुद्दा मिल गया. वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों द्वारा यह कयास लगाया जा रहा है कि झारखंड में चल रहीं हेंमत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के अंदरखाने में सबकुछ ठीक ठाक नहीं है. यहां बड़े सवाल यह है कि ऐसा क्या हुआ कि सत्ता में सहयोगी कांग्रेस के विधायकों को सदन के पटल पर सरकार के कार्रवाई पर सवाल उठाने को मजबूर होना पड़ा. क्या सरकार में रहते हुए कांग्रेस स्वंय को उपेक्षित महसूस कर रही है ? क्या कांग्रेस झारखंड में राजनीति की नई परिपाटी की शुरुआत कर अन्य राजनीतिक दलों के लिए आदर्श प्रस्तुत करना चाहती है. इस मुद्दे पर रडार न्यूज 24 ने जब राजनीतिक, सामाजिक एवं बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों से उनके विचार जानने का प्रयास किया, आइए जानते है कि राजनीतिक, सामाजिक एवं बुद्धिजीवी क्षेत्र के लोगों ने क्या कहा ……

हेमंत सोरेन सरकार में अपनों की बगावत के कई मायने – उमेश प्रताप

वरिष्ठ पत्रकार उमेश प्रताप का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार अपनों की बगावत से बेचैन हैं. विपक्ष के तल्ख सवालों का जवाब देने में जुटी सरकार को अब अपनों ने ही जबरदस्त तरीके से घेर लिया हैं. सत्ता पक्ष के विधायकों के तेवर से मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा भी बलवान हो गयी है. झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूरक प्रश्न काल में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के विधायकों ने भ्रष्टाचार के मामले पर  सरकार को ऐसा घेरा कि प्रभारी मंत्री को जवाब देने के लिये एक सप्ताह का समय मांगना पड़ा. स्वर्णरेखा प्रमंडल में फर्जी खाते खोलकर करोड़ों रुपये की निकासी मामले को उठाते हुए उन्होंने गबन के आरोपी कार्यपालक अभियंता को बचाने का आरोप अपनी ही सरकार पर लगा दिया. इस बगावत के कई मायने निकाले जा रहे हैं. जिन सवालों को लेकर सत्ता पक्ष मुखर हुआ हैं उसके पीछे यह कयास लगाया जा रहा हैं कि झारखंड सरकार के तहखाने में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा हैं. झारखंड की सत्ता में हेमंत सोरेन की पुनः वापसी होने के बाद सहयोगी दल कांग्रेस को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है. इससे कांग्रेसी विधायक बेहद खफा हैं, यहीं कारण हैं कि वे अपनी सरकार की खामियों को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नव नियुक्त झारखंड प्रभारी के राजू चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोरदार तरीके उठाया जाय ताकि आम जन मानस में कांग्रेस की एक नई छवि बने. कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में इस मसले को लेकर निर्देशित भी किया है. वहीं झामुमो के कई पुराने विधायक भी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, इसलिये वे उन सवालों को छोड़ना नहीं चाहते जिससे सरकार की किरकिरी हो. झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में करोड़ों रुपये के गबन के मामले पर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने न सिर्फ अपनी सरकार को घेरा बल्कि जिम्मेवार अभियंता पर कार्रवाई नहीं होने पर विधानसभा में ही धरना पर बैठ जाने की चेतावनी दे डाली.  झामुमो के स्टीफन मरांडी, मथुरा महतो और रामेश्वर उरांव के बोल भी सरकार विरोधी थे.  झामुमो और कांग्रेस के विधायकों के रुख को देखते हुए प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने आश्वासन दिया कि मामले की विभागीय जांच कर सात दिनों के भीतर सदन को अवगत कराया जायेगा.

 

उमेश प्रताप

 

सरकार को मामले की जांच करवा कर स्थिती स्पष्ट करनी चाहिए – दीपक

वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार का कहना है कि पेयजल विभाग में जिस भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस के विधायक ने सदन में जिस प्रकार से अपनी बातों को रखा हैं वह सत्ता पक्ष के लोगों के लिए तो परेशानी जरूर खड़ा कर दिया है. वहीं विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. सीएम को चाहिए कि सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी करें. अन्यथा साख और सरकार दोनों पर आंच आ सकती है. पेयजल विभाग में पाइप खरीदने से लेकर जलापूर्ति में अनियमितता पूर्वी सिंहभूम में भी बखूबी देखा जा सकता है. जमशेदपुर प्रखंड अंतर्गत बामनगोड़ा सोपोडेरा, राहरगोड़ा , गदड़ा आदि क्षेत्र में पेयजल की स्थिति का जायजा लेकर अनियमितता को देखा जा सकता है. इस प्रकार पूरे झारखंड में पेयजल व्यवस्था की क्या स्थिति है. सहज अनुमान लगाया जा सकता है.

दीपक कुमार

सत्ता में ज्यादा भागीदारी के लिए कांग्रेस कर रही है दिखावटी विरोध – राकेश

शिक्षाविद् राकेश कुमार पांडे का कहना है कि सरकार जिन उद्देश्यों को लेकर आई थी, उसमें कहीं न कहीं खरा उतरते नहीं दिखाई दे रही है. साथ ही सत्ता में आने पर कांग्रेस पार्टी कुछ ज्यादा ही हिस्सेदारी की अपेक्षा पाल रखी है. चाहे बोर्ड निगम हो या बीस सूत्री हो या अन्य जगहों पर और जेएमएम उसपर सहमत नहीं है. यही कारण रहा कि पिछली सरकार में भी बोर्ड निगम खाली रह गये, सिनेट, सिंडिकेट सब खाली रह गया और इस बार भी उम्मीद नहीं ही लग रहा. यही कारण है कि कांग्रेस जनहित के कुछ मुद्दों पर विरोध के आसरे सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही है. लेकिन जेएमएम इस बार पिछली बार से ज्यादा मजबूत स्थिति में है.  जेएमएम के दोनों हांथ में लड्डू है. यदि कांग्रेस ने ज्यादा उछल-कूद करने की कोशिश करेगी तो जेएमएम भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, हालांकि इसकी संभावना अभी कम ही है. मेरे विचार से कांग्रेस का यह विरोध दिखावटी है. कांग्रेस का मकसद साफ है कि वह सदन में सरकार को घेर कर दबाव की राजनीति करना चाह रही है ताकि जेएमएम अपने तरफ से कांग्रेस को सुलह करने का ऑफर दे. कांग्रेस सत्ता में अपनी भागीदारी  बढ़ाना चाहती है सत्ता से बाहर नहीं जाना चाहती.

राकेश कुमार पांडे

क्या है पूरा मामला?

झारखंड के पेयजल और स्वच्छता विभाग में 100 करोड़ रुपये के गबन का मामला इस समय चर्चा में है. विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने इस मामले को उठाया और आरोप लगाया कि विभाग में फर्जी खाते खोलकर करोड़ों रुपये की निकासी की गई है. उन्होंने कहा कि इस मामले में कई अभियंता संलिप्त हैं, लेकिन अब तक केवल एक ही आरोपी पर कार्रवाई की गई है. मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने इस मामले की विभागीय जांच का आश्वासन दिया और कहा कि सात दिनों के भीतर सदन को इस पर रिपोर्ट दी जाएगी. हालांकि, कांग्रेस और झामुमो के कई विधायक इस जवाब से संतुष्ट नहीं दिखे और उन्होंने कार्रवाई में देरी को लेकर असंतोष जताया. कुछ विधायकों ने तो यह तक कहा कि कार्यपालक अभियंता को बचाने की कोशिश की जा रही है. अगले दिन भी जारी……..

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