सरायकेला: सरायकेला नगर पंचायत अंतर्गत लंबे समय से चली आ रही पेयजल संकट की समस्या पर नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने एक बार फिर चिंता जताई है. उन्होंने उपायुक्त को पत्र लिखकर कुछ ठोस सुझाव दिए हैं, जिनके माध्यम से इस समस्या का स्थायी समाधान संभव बताया गया है.
“5 से 10 प्रतिशत घरों तक नहीं पहुंच रहा पानी”
मनोज चौधरी ने बताया कि 2018 से 2023 तक के अपने कार्यकाल में उन्होंने नगर में जलापूर्ति व्यवस्था की गहन समीक्षा की थी. हाल ही में नगर पंचायत की टीम द्वारा कराए गए सर्वे में यह स्पष्ट हुआ कि शहर की अधिकांश आबादी को जलापूर्ति हो रही है, परंतु ऊंचे भू-भागों में स्थित लगभग 5 से 10 प्रतिशत घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है.
उन्होंने कहा कि पहले केवल एक टंकी से जलापूर्ति होती थी, फिर भी व्यवस्थाएं संतुलित थीं. लेकिन नई योजनाओं के बाद भी जल संकट और गहरा गया है.
जलापूर्ति योजना में तकनीकी गड़बड़ियां
चौधरी ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि ₹20 करोड़ की लागत से बनी वृहद जलापूर्ति योजना के तहत नगरवासियों को 24×7 जल उपलब्ध कराना था. परंतु तकनीकी अभियंताओं व संवेदकों की कथित लापरवाही के कारण यह लक्ष्य पूरी तरह विफल रहा.
आज भी कालूराम चौक, कंसारी टोला, अटल चौक, नायक टोला जैसे क्षेत्रों के लोग नियमित जलापूर्ति से वंचित हैं. गर्मियों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है.
चार प्रमुख सुझाव दिए समाधान के लिए
1. जुस्को से बिजली कनेक्शन लेकर जलापूर्ति में स्थायित्व
पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि पीएचईडी के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को जुस्को की विद्युत आपूर्ति से जोड़ा जाए. इससे जल आपूर्ति में 75% तक सुधार संभव है. प्रशासक ने इस पर पहले ही जुस्को से कोटेशन मंगवाया है.
2. राजबांध स्थित टंकी को उपयोग में लाया जाए
2015 में बनी पानी की टंकी फिलहाल बेकार पड़ी है. यदि इसे चालू किया जाए तो जल आपूर्ति के दायरे में गुणात्मक सुधार होगा.
3. जलापूर्ति के समय बिजली कटौती बंद हो
उन्होंने कहा कि जलापूर्ति के समय बिजली की कटौती न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि असंवैधानिक भी है. यह घरेलू व व्यावसायिक गतिविधियों पर भी असर डालती है.
4. नदी पर बांध की ऊंचाई बढ़ाई जाए
गर्मी में नदी सूखने लगती है. यदि बांध की ऊंचाई बढ़ाई जाए तो जल संग्रहण की क्षमता बढ़ेगी, जिससे गर्मियों में भी जल उपलब्धता बनी रहेगी.
चौधरी ने सुझाव दिया कि शहरी जलापूर्ति योजना की अवशेष राशि, जो लगभग ₹1 करोड़ बताई जा रही है, उसे इस दिशा में इस्तेमाल किया जाए. यदि इन बिंदुओं पर गंभीरता से अमल किया गया तो नगरवासियों को वर्तमान की दो बार की जलापूर्ति के बजाय तीन बार जल उपलब्ध कराया जा सकेगा.
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