Sawan 2025: इन फलों और वस्तुओं को शिवलिंग पर अर्पित करना है वर्जित, श्रावण मास में अवश्य रखें ध्यान

Spread the love

जमशेदपुर:  श्रावण मास को भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है. इस वर्ष यह पवित्र मास 11 जुलाई से प्रारंभ होकर 9 अगस्त तक चलेगा. इस कालखंड में श्रद्धालु व्रत, जलाभिषेक, मंत्र जाप और विविध प्रकार के फूल-फलों के माध्यम से शिव की पूजा करते हैं.

कहा जाता है कि भोलेनाथ अत्यंत सरल हृदय हैं. वे केवल जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं. परंतु पूजा के समय कुछ ऐसी वस्तुएं और फल होते हैं, जिन्हें अर्पित करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है.

शिवजी को क्यों नहीं चढ़ाया जाता नारियल?
नारियल समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ फल है, जिसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं. अतः नारियल अर्पण करना शिव को लक्ष्मी समर्पित करने जैसा है, जो पूजा मर्यादा के विरुद्ध समझा जाता है.

इसे भी पढ़ें :  Sawan 2025: 11 जुलाई से शुरू हो रहा है महादेव का प्रिय सावन, जानिए सावन में धरती पर क्यों आते हैं भोलेनाथ?

क्या केला शिव के रौद्र रूप से जुड़ा है?
पुराणों में वर्णन है कि केले का वृक्ष भगवान शिव के रौद्र रूप और एक ब्राह्मण के शाप से उत्पन्न हुआ था. इसी कारण से यह फल शिव को अर्पण करने योग्य नहीं माना गया है.

संपूर्ण अनार चढ़ाना क्यों है अनुचित?
अनार का रस श्रद्धापूर्वक शिव अभिषेक में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन संपूर्ण फल रूप में शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है. यह पूजा के नियमों के विरुद्ध है.

जामुन को क्यों नहीं चढ़ाते शिवलिंग पर?
धार्मिक दृष्टिकोण से जामुन को पूर्णतः शुद्ध नहीं माना गया है. यही कारण है कि इसे न शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है और न ही प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है.

अन्य वर्जित वस्तुएं: केवड़ा, तुलसी और श्रृंगार सामग्री
शिवपुराण के अनुसार, केवड़ा के फूल को शिव ने शापित किया था क्योंकि इसने ब्रह्मा के असत्य कथन का समर्थन किया था. इस कारण केवड़ा पूजा में निषिद्ध है.

तुलसी के पत्तों को भी भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता क्योंकि वे विष्णु को प्रिय हैं. इसके अतिरिक्त, शिव वैराग्य और तप के प्रतीक हैं. इसलिए उन्हें कुमकुम, सिंदूर या स्त्रियों के श्रृंगार की वस्तुएं नहीं चढ़ानी चाहिए. ये वस्तुएं पूजा की पवित्रता को प्रभावित कर सकती हैं.

श्रावण मास में शिव पूजा जितनी शुभकारी मानी जाती है, उतनी ही आवश्यक है विधान अनुसार पूजा करना. यदि भक्तगण इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, तो शिव कृपा और भी सहजता से प्राप्त हो सकती है.

 

इसे भी पढ़ें :

Sawan Somwar 2025: सावन की पहली सोमवारी पर राशि अनुसार जाप से बढ़ेगा फल, जानिए कौन-सा मंत्र है आपके लिए शुभ?

Spread the love
  • Related Posts

    Sawan 2025: चिड़िया के चंदेश्वर मंदिर के पुजारी जानिए शिव हमें क्या सिखाते हैं?

    Spread the love

    Spread the loveपश्चिमी सिंहभूम:  सावन माह की चौथी और अंतिम सोमवारी पर चिड़िया के चंदेश्वर शिव मंदिर में श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्र हुए। शिवभक्त सुबह से ही पूजा, अर्चना…


    Spread the love

    Chaibasa: ‘विश्वरूप’ शिव की आराधना में डूबा गुवा, हजारों ने किया जलाभिषेक

    Spread the love

    Spread the loveपश्चिमी सिंहभूम:  सावन की अंतिम सोमवारी पर गुवा के तीनों प्रमुख शिवालयों—कुसुम घाट, रेलवे कॉलोनी और योग नगर—में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह 4 बजे से ही…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *