
मुंबई: भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उल्लू, ALTT, देसीफ्लिक्स, बिग शॉट्स समेत 25 स्ट्रीमिंग ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह कार्रवाई अश्लील और यौन सामग्री को लेकर नागरिकों की शिकायतों के बाद की गई है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को इन ऐप्स के खिलाफ कई संगठनों और आम नागरिकों से शिकायतें मिली थीं. जांच में सामने आया कि ये प्लेटफॉर्म्स “18+” वेब सीरीज़ के नाम पर खुलेआम अश्लील कंटेंट परोस रहे थे. यह न सिर्फ आईटी नियम 2021, बल्कि भारतीय दंड संहिता की धाराओं 292 और 293 का भी उल्लंघन है.
क्या कहते हैं भारत के अश्लीलता कानून?
भारत में अश्लील सामग्री को सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ माना गया है, खासकर जब वह नाबालिगों के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो.
प्रमुख कानूनी प्रावधान:
- आईटी अधिनियम की धारा 67 और 67A: इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील कंटेंट के प्रकाशन और प्रसारण पर प्रतिबंध.
- IPC की धारा 292 और 293: अश्लील सामग्री के वितरण और प्रदर्शन पर दंड का प्रावधान.
- POCSO अधिनियम: बच्चों के यौन शोषण से संबंधित किसी भी डिजिटल या फिजिकल सामग्री पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान.
रेगुलेशन की आज़ादी का गलत इस्तेमाल
OTT प्लेटफॉर्म्स को शुरुआत में आत्म-नियमन (self-regulation) की छूट दी गई थी. लेकिन कई प्लेटफॉर्म्स ने इस छूट का दुरुपयोग किया और कंटेंट मॉडरेशन की सीमाएं लांघ दीं. परिणामस्वरूप सरकार को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा.
किन ऐप्स पर लगा बैन?
सरकार द्वारा प्रतिबंधित ऐप्स की सूची में शामिल हैं:
Ullu
ALTT (पूर्व में ALTBalaji)
BigShots
Desiflix
HotHit
PrimePlay
Boomex, Kangan App, Gulab App, Navrasa Lite, Bull App, Jalwa App, HitPrime, ShowX, Feneo, Soul Talkies, Adda TV, HotX VIP, Hulchul App, MoodX, NeonX VIP, ShowHit, Phuggi, MozFlix, Triflix
इन सभी ऐप्स पर अश्लीलता फैलाने और आईटी अधिनियम व IPC का उल्लंघन करने का आरोप है.
ऑनलाइन सट्टेबाज़ी ऐप्स पर भी कार्रवाई
सरकार ने न सिर्फ अश्लील कंटेंट पर बल्कि ऑनलाइन जुए और सट्टेबाज़ी पर भी शिकंजा कसा है. 2022 से जून 2025 के बीच कुल 1,524 वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगाए गए. केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने संसद में बताया कि ये कार्रवाई उन विदेशी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ की गई है जो भारतीय कानूनों का पालन किए बिना ऑपरेट कर रहे थे.
OTT प्लेटफ़ॉर्म्स को मिली आज़ादी अब सवालों के घेरे में है. सरकार का ये फैसला डिजिटल स्पेस में साफ-सुथरी और नैतिक सामग्री को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
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