Homage to Shibu Soren: झारखंड आंदोलन का एक युग समाप्त – श्रद्धांजलियों में डूबा Kolhan, सांसद-विधायक समेत इन्होने व्यक्त की संवेदनाएं

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जमशेदपुर: झारखंड आंदोलन के महानायक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने आज अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरे राज्य में शोक की गहरी लहर दौड़ गई है। कोल्हन के अलग-अलग इलाकों से स्कूल, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन उनके सम्मान में शोकसभा आयोजित कर रहे हैं।

 

 “गुरुजी मेरे लिए पिता तुल्य थे” — रघुवर दास
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह न केवल राज्य के लिए, बल्कि उनके लिए भी व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने कहा “गुरुजी मेरे लिए पिता समान थे। उन्होंने मुझे हमेशा पुत्र जैसा स्नेह दिया। उनके साथ काम करना मेरे जीवन का सौभाग्य रहा।”
रघुवर दास ने याद किया कि शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री रहते उन्हें उपमुख्यमंत्री पद पर काम करने का अवसर मिला था, जिसे वे जीवन की अनमोल स्मृति मानते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा “उनके जाने से झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। वे वर्तमान को अतीत से जोड़ने वाली कड़ी थे, जो अब टूट गई है।” उन्होंने बताया कि शिबू सोरेन सभी दलों और विचारधाराओं के लोगों को समान आदर देते थे। उनके पास बैठना ऐसा लगता था मानो किसी ऋषि की छत्रछाया में बैठें हों।

रघुवर दास ने कहा कि गुरुजी का पूरा जीवन आदिवासी समाज की पहचान, शिक्षा, आर्थिक विकास और नशामुक्त समाज की चिंता में समर्पित रहा। उनके प्रयासों से ही आदिवासी समाज को समाज में गौरव और सम्मान मिला। “वे सरल जीवन और उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे। उन्होंने कभी किसी में भेदभाव नहीं किया — न बाहरी, न भीतरी। वे सच में झारखंड के सर्वमान्य नेता थे।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने मरांग बुरू से प्रार्थना करते हुए कहा कि वे शिबू सोरेन जैसी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और इस कठिन घड़ी में श्रीमती रूपी सोरेन समेत पूरे सोरेन परिवार को धैर्य और शक्ति दें।
“झारखंड ने अपने माटी का बेटा खो दिया है, पूरा राज्य शोक में डूबा है।”

 

सांसद बिद्युत बरण महतो ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
जमशेदपुर के सांसद बिद्युत बरण महतो ने गुरुजी के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। सांसद महतो ने कहा, “गुरुजी न सिर्फ मेरे राजनीतिक अभिभावक थे, बल्कि उन्होंने मुझे पिता जैसा स्नेह दिया। एक अत्यंत साधारण पृष्ठभूमि से आकर उन्होंने झारखंड आंदोलन को न केवल आगे बढ़ाया बल्कि हज़ारों लोगों के लिए प्रेरणा बने।” सांसद ने याद करते हुए कहा कि शिबू सोरेन अपने आंदोलन के दौरान न केवल बड़े नेताओं, बल्कि छोटे-से-छोटे कार्यकर्ता की भी चिंता करते थे। वे हमेशा कार्यकर्ताओं का हालचाल लेते और उनके सुख-दुख में सहभागी बनते। महतो ने कहा, “उनकी यह मानवीयता ही उन्हें एक जननेता बनाती थी। वह हमेशा चाहते थे कि झारखंड के दबे-कुचले लोगों को न्याय मिले और उनकी आवाज़ बुलंद हो।” सांसद महतो ने वादा किया कि गुरुजी के अधूरे सपनों को पूरा करना ही अब झारखंडवासियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “जिस आंदोलन को गुरुजी ने खड़ा किया और जिस सपने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उसे पूरा करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।” बिद्युत महतो ने शिबू सोरेन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए कहा, “मारंगबुरू से कामना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों सहित पूरे झारखंड को यह अपार पीड़ा सहने की शक्ति दें।”

 

पूर्णिमा साहू ने जताया गहरा शोक
झारखंड आंदोलन के पुरोधा, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के निधन पर जमशेदपुर पूर्वी की विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दस की बहु पूर्णिमा साहू ने शोक व्यक्त करते हुए कहा— “झारखंड ने अपना अभिभावक खो दिया। दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी एक अपूरणीय क्षति है।” विधायक साहू ने कहा कि गुरुजी जनभावनाओं के प्रतीक थे। वे हमेशा झारखंड के लोगों के दुख-दर्द में साथ खड़े रहे। “उनके जाने से जो सामाजिक और राजनीतिक शून्यता आई है, उसकी कोई भरपाई संभव नहीं।”

पूर्णिमा साहू ने कहा कि शिबू सोरेन का पूरा जीवन झारखंड की अस्मिता, अधिकार और आत्मसम्मान के लिए समर्पित रहा। “उन्होंने आदिवासियों, वंचितों और शोषितों की आवाज को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया और जीवन भर उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी।” उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन का व्यक्तित्व संघर्ष, सेवा और संकल्प की त्रिवेणी था। “उनकी स्मृतियां और योगदान हमेशा झारखंडवासियों के दिलों में जीवित रहेंगे।”

 

 

“शिबू जी ने मुझे झारखंड को समझना सिखाया” — विधायक सरयू राय
जमशेदपुर पश्चिम से विधायक सरयू राय ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति में एक विचारधारा और आंदोलन के प्रतीक रहे हैं। उनका जाना पूरे राज्य के लिए अपूरणीय क्षति है। सरयू राय ने कहा “शिबू सोरेन ने झारखंड की राजनीति को सिर्फ दिशा नहीं दी, बल्कि उसे संवेदनशीलता और जनआंदोलन का चेहरा भी बनाया। उन्होंने हमेशा झारखंड की विशेषताओं और संसाधनों के साथ विकास की बात की।”

सरयू राय ने 2000 के राजनीतिक घटनाक्रम को याद करते हुए बताया कि जब नीतीश कुमार की अगुवाई में एक अल्पकालिक सरकार बनी थी, तब झामुमो ने उसका समर्थन किया था। उस दौरान वे एनडीए के बिहार संयोजक के रूप में शिबू सोरेन के साथ नजदीकी से जुड़े। उन्होंने कहा “उन्हें पास से देखने और समझने का मौका मुझे तब मिला था। वे संघर्षशील और स्पष्ट सोच वाले नेता थे।”

सरयू राय ने बताया कि वर्ष 2004 में शुरू हुए दामोदर बचाओ आंदोलन के दौरान भी उन्होंने शिबू सोरेन से विचार-विमर्श किया था। 24-25 सितंबर 2004 को रांची में एक प्रदर्शनी और संगोष्ठी आयोजित हुई थी, जिसमें शिबू सोरेन खुद आए, लंबा समय बिताया और कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

सरयू राय ने कहा: “शिबू सोरेन के जाने से जो राजनीतिक शून्य पैदा हुआ है, उसे भरना आसान नहीं। उनकी राजनीतिक और वैचारिक विरासत अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कंधों पर है।” उन्होंने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से परिजनों और समर्थकों को दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना की।

 

“आज झारखंड ने अपना अभिभावक खो दिया” — बन्ना गुप्ता
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने झारखंड आंदोलन के प्रणेता शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा— “आज झारखंड ने अपना अभिभावक खो दिया है। देश की राजनीति का एक आंदोलनकारी युग समाप्त हो गया। गुरुजी ने आदिवासियों, गरीबों, शोषितों और वंचितों के अधिकारों के लिए पूरी जिंदगी संघर्ष किया और हमें अलग झारखंड राज्य दिया।” बन्ना गुप्ता ने याद करते हुए कहा कि वे जब-जब गुरुजी से मिले, उन्होंने हमेशा मार्गदर्शन और प्रेरणा दी। “उनका व्यक्तित्व हमेशा जनता के बीच रहा। वो सादगी, संघर्ष और सिद्धांतों की मिसाल थे।”

पूर्व मंत्री ने कहा कि शिबू सोरेन का जल-जंगल-जमीन के लिए किया गया आंदोलन झारखंड के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। “उन्होंने हमें सिखाया कि अपने हक के लिए शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ संघर्ष कैसे किया जाता है।”

बन्ना गुप्ता ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए कहा— “इस दुख की घड़ी में हम सभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी और पूरे परिवार के साथ हैं। झारखंड उन्हें कभी नहीं भुला पाएगा। गुरुजी केवल एक नाम नहीं, एक विचारधारा थे। उनका योगदान हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा बना रहेगा।”

 

पोटका विधायक संजीव सरदार बोले – “अलविदा गुरुजी”
पोटका विधायक संजीव सरदार ने गहरे दुख के साथ गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा, “आदरणीय गुरुजी शिबू सोरेन जी के निधन से हम सब स्तब्ध और अत्यंत दुखी हैं। वह केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और आदिवासी समाज की बुलंद आवाज़ थे।”
विधायक सरदार ने गुरुजी के जीवन को संघर्ष, सेवा और नेतृत्व की मिसाल बताया। उन्होंने कहा, “गुरुजी ने जिस निष्ठा और समर्पण के साथ झामुमो को सींचा और झारखंड के मूलवासी समाज के लिए कार्य किया, वह हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।”
सरदार ने कहा कि शिबू सोरेन का मार्गदर्शन हमेशा एक दिशा देने वाला रहा। उनका सादगीभरा जीवन और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, झारखंड की राजनीति के लिए आदर्श रही है। उन्होंने कहा, “उनका जाना हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है।”
संजीव सरदार ने पोटका विधानसभा क्षेत्र की ओर से गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “पूरा झामुमो परिवार इस दुख की घड़ी में माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी और शोकाकुल परिवार के साथ खड़ा है।”

 

“गुरुजी का जाना पूरे देश के लिए नुकसान” — अप्पू तिवारी
आजसू पार्टी के प्रवक्ता अप्पू तिवारी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा “गुरुजी सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि आदिवासी, गरीब, पिछड़े और वंचित वर्गों की आवाज थे। उनका जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई अब इस युग में संभव नहीं।”
अप्पू तिवारी ने कहा कि शिबू सोरेन झारखंड राज्य की कल्पना से लेकर उसकी स्थापना तक हर चरण के सक्रिय नायक रहे। उन्होंने न केवल एक राजनीतिक दल खड़ा किया, बल्कि लाखों लोगों को संघर्ष की प्रेरणा दी। “वो हर उस इंसान के लिए खड़े रहे जो हाशिए पर था। उन्होंने सत्ता को गरीबों की आवाज सुनने पर मजबूर किया।”

अप्पू तिवारी ने कहा “गुरुजी के निधन से झारखंड ने अपना राजनीतिक अभिभावक खो दिया है। वह एक ऐसा चेहरा थे जो सभी वर्गों और समुदायों के लिए समान रूप से सम्मानित थे।” अप्पू तिवारी ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और शोकसंतप्त परिवार व समर्थकों को इस दुख को सहने की शक्ति देने की कामना की।

 

 

“दिशोम गुरु के बिना अधूरी है झारखंड की राजनीति” — दिनेश कुमार
भाजपा जमशेदपुर महानगर के पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार ने झारखंड आंदोलन के नायक और झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा “दिशोम गुरु शिबू सोरेन आदिवासी समाज के महान प्रहरी थे, जिन्होंने जन अधिकारों की आवाज को संसद तक पहुंचाया। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और जनसेवा की मिसाल रहा है।”

दिनेश कुमार ने अपने संदेश में कहा “शिबू सोरेन के निधन के साथ ही झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। वो सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक संघर्षशील विचारधारा थे, जिन्होंने हजारों युवाओं को जनहित के लिए खड़ा होना सिखाया।” उन्होंने इस दुखद घड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूरे शोकाकुल परिवार को धैर्य और शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की। “झारखंड की माटी उन्हें हमेशा श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करती रहेगी।”

 

खालसा स्कूल बर्मामाइंस में श्रद्धांजलि सभा
जमशेदपुर के खालसा हाई और मिडिल स्कूल में एक भावभीनी शोक सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर गुरुद्वारा कमेटी के पदाधिकारी, स्कूल स्टाफ और विद्यार्थी उपस्थित रहे। युवा नेता और स्कूल उपसचिव सरदार सतबीर सिंह सोमू ने शिबू सोरेन के राजनीतिक जीवन, झारखंड आंदोलन और मुख्यमंत्री के रूप में उनके योगदान पर विस्तार से बताया। कमेटी के प्रधान सविंदर सिंह, महासचिव जोगा सिंह और चेयरमैन गुरदयाल सिंह ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा के अंत में दो मिनट का मौन रखा गया। गुरदयाल सिंह, हरभजन सिंह, स्कूल सचिव सुखपाल सिंह, रविंद्र सिंह, परमजीत सिंह, प्रिंसिपल संजय सिंह और अन्य ने भी विचार साझा किए।

 

बहरागोड़ा में बच्चों ने दी श्रद्धांजलि
बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, जो श्रीहरि वनवासी विकास समिति झारखंड द्वारा संचालित है, में सोमवार को झारखंड आंदोलन के महानायक, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर एक शोकसभा आयोजित की गई। इस मौके पर विद्यालय के कक्षा प्रवेश से लेकर दशम तक के सभी छात्र-छात्राएं, प्रधानाचार्य, शिक्षक-शिक्षिकाएं, सेवक-सेविकाएं और कई अभिभावकगण उपस्थित रहे। शोकसभा के दौरान सभी उपस्थितजनों ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके साथ ही गुरुजी के आदर्शों को याद करते हुए उनके योगदान को नमन किया गया। विद्यालय परिवार ने संयुक्त रूप से ईश्वर से प्रार्थना की कि वे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकसंतप्त परिजनों तथा पूरे झारखंड को इस अपार पीड़ा को सहने की शक्ति दें।

 

 

डॉ. पवन पांडेय (एनसीपी) का शोक संदेश
इसी क्रम में एनसीपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता डॉ. पवन पांडेय ने उनके निधन को झारखंड की राजनीति के लिए “अभूतपूर्व क्षति” बताया है। उन्होंने कहा, “04 अगस्त को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में गुरुजी का निधन हुआ, यह क्षति कभी पूरी नहीं की जा सकेगी। वे झारखंड के जनमानस की आवाज थे।” डॉ. पांडेय ने कहा, “एक साधारण आदिवासी परिवार में जन्म लेकर शिबू सोरेन जी जिस ऊंचाई तक पहुंचे, वह इस बात का प्रमाण है कि अगर इरादे पक्के हों और जनसेवा की भावना हो, तो कोई भी मुश्किल रास्ता रोका नहीं जा सकता।”
पार्टी की ओर से जारी बयान में डॉ. पांडेय ने कहा, “हम इस महान शख्सियत को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनका संघर्ष और जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।”

 

 

कांग्रेस प्रवक्ता जम्मी भास्कर की प्रतिक्रिया
झारखंड आंदोलन के प्रणेता, आदिवासी समाज के मजबूत स्तंभ और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कोल्हान प्रमंडल के प्रवक्ता एवं झारखंड प्रदेश इंटक प्रवक्ता जम्मी भास्कर ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने शोक संदेश में कहा, “दिशोम गुरु का जाना झारखंड ही नहीं, पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वे न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, बल्कि आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्षरत एक असाधारण जननायक भी थे।”
भास्कर ने कहा, “शिबू सोरेन जी के नेतृत्व में झारखंड आंदोलन को नई गति मिली। उनकी सोच और संघर्ष के बल पर ही झारखंड एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। वे गरीबों, वंचितों और आदिवासी समाज के सच्चे मसीहा थे।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने भावुक स्वर में कहा, “उनके जाने से झारखंड की राजनीति में एक गहरा शून्य उत्पन्न हुआ है, जिसकी भरपाई संभव नहीं। उनकी सरलता, दृढ़ संकल्प और जनसेवा की भावना हम सभी के लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी।”
भास्कर ने कहा कि दिशोम गुरु के बताए मार्ग पर चलकर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिवार, समर्थकों और समस्त झारखंडवासियों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

 

साकची गुरुद्वारा प्रधान निशान सिंह ने कहा – “एक युग का अंत”
झारखंड आंदोलन के प्रणेता और जनजातीय समाज की बुलंद आवाज़ रहे शिबू सोरेन के निधन पर साकची गुरुद्वारा के प्रधान सरदार निशान सिंह ने गहरा शोक व्यक्त किया है। सोमवार को जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन का जाना केवल एक राजनेता के निधन की खबर नहीं है, बल्कि यह झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक इतिहास में एक पूरे युग का अंत है। उन्होंने हमेशा वंचितों, आदिवासियों और समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आवाज़ को न सिर्फ बुलंद किया, बल्कि उसे राजनीतिक शक्ति में भी बदला। झारखंड राज्य के गठन में उनका योगदान अविस्मरणीय और ऐतिहासिक है।
सरदार निशान सिंह ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए उनके परिजनों, अनुयायियों और शुभचिंतकों को इस असीम दुख को सहन करने की शक्ति देने की कामना की। उन्होंने कहा, “शिबू सोरेन जैसे संघर्षशील और सेवाभावी व्यक्तित्व बार-बार जन्म नहीं लेते। उनका जीवन, आदर्श और समर्पण हम सबके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।”

 

धर्मेंद्र सोनकर ने दिल्ली में दी श्रद्धांजलि
झारखंड आंदोलन के जनक, पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी समाज की आवाज रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस कमेटी नगर अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनकर ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “गुरुजी ने मौत से भी अंतिम समय तक संघर्ष किया। लेकिन आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली और सदा के लिए मरांग बुरू की शरण में चले गए।”
धर्मेंद्र सोनकर ने कहा, “रामगढ़ जिले के एक छोटे से गांव नेमरा से निकलकर झारखंड की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले दिशोम गुरु सिर्फ एक नेता नहीं थे, बल्कि झारखंड राज्य निर्माण के जनक और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक थे। उनका जाना एक युग के अंत के समान है।” उन्होंने कहा, “झारखंड के आदिवासी आंदोलन की किताब का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय आज समाप्त हो गया है। गुरुजी ने आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय विमर्श में लाकर पूरी राजनीति की दिशा बदल दी।”
शोकसभा में झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव कमलेश महतो, वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. अजय कुमार, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के वाइस चेयरमैन एवं राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त ज्योति माथारू, नगर अध्यक्ष धर्मेंद्र सोनकर, अमरजीत सिंह, अजितेश उज्जैन सहित अनेक कांग्रेसजन शामिल हुए। सभी ने नम आंखों से दिशोम गुरु को अंतिम जोहार अर्पित किया। सभी नेताओं ने ईश्वर से प्रार्थना की कि मरांग बुरू दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवारजनों एवं चाहने वालों को इस दुख की घड़ी में धैर्य प्रदान करें।

 

कांग्रेस की बैठक स्थगित, दो मिनट का मौन
पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर करनडीह में संगठन सृजन अभियान के तहत एक बैठक का आयोजन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष सतीश कुमार तिर्की कर रहे थे। इस बैठक में जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होना था। बैठक के दौरान जैसे ही यह दुखद सूचना मिली कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हो गया है, तो तुरंत कार्यक्रम को स्थगित कर एक शोकसभा आयोजित की गई। इस अवसर पर सभी कांग्रेसजनों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। शोकसभा में जिलाध्यक्ष श्री दुबे ने कहा, “गुरुजी झारखंड राज्य के जनक के रूप में हर झारखंडवासी के दिल में सदैव जीवित रहेंगे। उनका लंबा और संघर्षपूर्ण जीवन ही झारखंड राज्य के निर्माण की नींव बना। वे हमेशा सबको साथ लेकर चलने में विश्वास करते थे। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।” इस मौके पर जिला उपाध्यक्ष सतीश कुमार तिर्की, प्रखंड अध्यक्ष आशीष ठाकुर, करनडीह-घाघीडीह मंडल अध्यक्ष रंजन सिंह, टाटानगर मंडल अध्यक्ष मुन्ना मिश्र, परसुडीह मंडल अध्यक्ष नारायण डे, ब्रजेन्द्र कुमार तिवारी, संजय सिंह आज़ाद, जिला महामंत्री अपर्णा गुहा, रवि कुर्ली, सविता कच्छप, पश्चिम किताडीह पंचायत अध्यक्ष सोनी कुमारी, लखन सिंह, रंजीत झा, राजेश कुमार दुबे, सुल्तान अहमद, अजय यादव, उत्तर करनडीह पंचायत अध्यक्ष स्वेता सिंह, सुशील घोष सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसजन उपस्थित रहे।

 

नरवा पहाड़ में गूंजा – “जब तक सूरज चाँद रहेगा…”
जनजातीय चेतना के पुरोधा और झारखंड आंदोलन के महानायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से नरवा पहाड़ शोक में डूब गया। सोमवार को यूसिल के ठेका मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर जारी हड़ताल के बीच कंपनी गेट के सामने शोकसभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान गगनभेदी नारे गूंजे — “जब तक सूरज-चांद रहेगा, गुरुजी तेरा नाम रहेगा”

झामुमो प्रखंड अध्यक्ष सुधीर सोरेन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “दिशोम गुरु 1980 के दशक में जब इस क्षेत्र में आए, तो उन्होंने हमें बताया कि हक पाने के लिए कैसे लड़ना होता है। उन्होंने युवाओं में चेतना जगाई, और यही चेतना आगे चलकर झारखंड राज्य की नींव बनी। उनके विचार झारखंड की नसों में हमेशा जिंदा रहेंगे।”
सिद्धू-कान्हू मेमोरियल स्कूल के प्राचार्य बनवारी दास और डिवाइन मिशन स्कूल के प्राचार्य विवेक विशाल ने भी अपने-अपने स्कूलों में शोकसभा आयोजित कर दिवंगत नेता को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा, “शिबू सोरेन ने जल, जंगल और जमीन के अधिकार के लिए जो संघर्ष शुरू किया, वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा है। उन्होंने सिर्फ झारखंड ही नहीं, पूरे भारत के वंचित समाज को आवाज़ दी।”

वरिष्ठ नेता शिव चरण मुर्मू और जेएलकेएम के पोटका प्रत्याशी भागीरथी हांसदा ने कहा कि शिबू सोरेन ने महाजनी शोषण के खिलाफ जब आदिवासी समाज को गोलबंद किया, तब पहली बार लोग उन्हें मसीहा की तरह देखने लगे। उनके नेतृत्व में चलाए गए धान कटनी आंदोलन की चिंगारी पूरे दक्षिण बिहार में फैल गई और यही आंदोलन आगे चलकर झारखंड अलग राज्य आंदोलन में बदल गया। 2000 में जब झारखंड बना, तो उसका सबसे बड़ा श्रेय इसी जननायक को जाता है।

 

सुदामा हेम्ब्रम ने कहा – “प्रेरणास्रोत थे दिशोम गुरु”
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक, पूर्व अध्यक्ष और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से पूरे झारखंड में शोक की लहर है। छात्र झामुमो के सरायकेला-खरसावां जिला अध्यक्ष सुदामा हेम्ब्रम ने इस दुखद समाचार पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “झारखंड ने आज अपना प्रेरणास्रोत, संघर्ष का प्रतीक और सबसे बड़ा राजनीतिक स्तंभ खो दिया है।” उन्होंने कहा, “दिशोम गुरु का निधन गुर्दा रोग और स्ट्रोक से जुड़ी लंबी बीमारी के बाद हुआ। यह केवल एक व्यक्तित्व का अंत नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत है।” सुदामा हेम्ब्रम ने कहा कि “शिबू सोरेन ने अपना सम्पूर्ण जीवन वंचितों, आदिवासियों और मूलवासियों के हक-अधिकार की लड़ाई में समर्पित किया। जल, जंगल और जमीन की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए उनका संघर्ष झारखंड राज्य की पहचान की नींव है।” उन्होंने कहा कि “शिबू सोरेन न सिर्फ एक राजनीतिक नेता थे, बल्कि एक आंदोलन के प्रतीक थे। उनकी राजनीतिक और सामाजिक विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।” सुदामा ने यह भी कहा कि “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता होने के बावजूद गुरुजी का नेतृत्व एक परिवार तक सीमित नहीं था। उनके नेतृत्व में पूरा झामुमो संगठित हुआ और झारखंड की जनता को नई दिशा मिली।”

 

झामुमो नेता अरुण सिंह राजा बोले – “झारखंड आंदोलन का युग समाप्त”
अरुण सिंह राजा ने बताया कि बाबा का इलाज कई दिनों से दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो खुद बाबा के पुत्र हैं, ने ट्विटर पर इस दुखद सूचना को साझा करते हुए लिखा, “गुरुजी हमें छोड़कर चले गए, अब मैं खुद को शून्य महसूस कर रहा हूं।” 81 वर्ष की उम्र में दिशोम गुरु का संघर्षपूर्ण जीवन थम गया। राज्यसभा सांसद रहते हुए भी वह जनआंदोलनों से जुड़े रहे। उन्होंने जल-जंगल-जमीन के हक के लिए जो लड़ाई लड़ी, उसने झारखंड को अलग राज्य का स्वरूप दिलाया।
अरुण सिंह राजा ने अपने शोक संदेश में लिखा “उदास हूं और हताश भी, मन और दिल दोनों दिशाहीन हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस पीड़ा को सहने की शक्ति हम सभी को दे और इन कठिन परिस्थितियों से लड़ने का हौसला दे। ऊँ शांति।”
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि रामदास सोरेन दादा इस वक्त खुद जीवन-मृत्यु के संघर्ष में हैं। “झारखंड की यह परीक्षा की घड़ी है, जहां एक ओर बाबा शिबू सोरेन नहीं रहे और दूसरी ओर रामदास दादा के स्वास्थ्य की चिंता भी बनी हुई है।”

 

 

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    Spread the loveजमशेदपुर : झारखंड आंदोलन के अगुआ, दिशोम गुरु आदरणीय शिबू सोरेन जी के निधन से मर्माहत हूं। उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। वह मेरे पिता तुल्य…


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