पंडित प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा से पहले भगदड़, दो श्रद्धालुओं की मौत – पहले भी हो चुके हैं हादसे

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मध्यप्रदेश:  सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार को भीड़ बेकाबू हो गई। श्रद्धालुओं की भारी संख्या के बीच धक्का-मुक्की में दो लोगों की जान चली गई, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया है। ये श्रद्धालु बुधवार को पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित कांवड़ यात्रा में शामिल होने आए थे। भीड़ का दबाव इतना बढ़ गया कि दो श्रद्धालु गिर पड़े और दबकर उनकी मौत हो गई।

एक दिन पहले ही टूट गई व्यवस्थाएं
6 अगस्त को कुबेरेश्वर धाम से चितावलिया हेमा गांव तक कांवड़ यात्रा प्रस्तावित है। उससे एक दिन पहले मंगलवार को ही श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ पड़ा। ठहरने, प्रसादी और दर्शन की जगह कम पड़ने लगी, जिससे कई स्थानों पर अफरा-तफरी मच गई।

व्यवस्थाएं थीं 4 हजार श्रद्धालुओं के लिए, भीड़ पहुंची हजारों में
प्रशासन और आयोजकों का दावा था कि करीब 4 हजार श्रद्धालुओं के लिए ठहराव की व्यवस्था की गई थी। नमक चौराहा, राधेश्याम कॉलोनी, अटल पार्क, बजरंग अखाड़ा, शास्त्री स्कूल, लुर्द माता स्कूल और सीवन नदी किनारे जगह तय की गई थी। हालांकि, मंगलवार को इससे कहीं अधिक श्रद्धालु पहुंच गए, जिससे सारी व्यवस्थाएं ढह गईं।

ट्रैफिक प्लान था, लेकिन लागू नहीं हुआ
एसपी दीपक शुक्ला ने पहले ही बताया था कि 5 अगस्त रात 12 बजे से 6 अगस्त रात 11 बजे तक यातायात डायवर्जन और पार्किंग की व्यवस्था लागू की जाएगी। भारी वाहन वैकल्पिक मार्ग से और छोटे वाहन न्यू क्रिसेंट चौराहा होते हुए भेजे जाने थे, लेकिन घटना के समय तक यह प्लान ज़मीन पर लागू नहीं हुआ था।

अपर कलेक्टर वृंदावन सिंह ने इस आयोजन की जिम्मेदारी एसडीएम तन्नय वर्मा को सौंपी थी। बावजूद इसके यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि हादसे के समय कितनी पुलिस फोर्स या मेडिकल टीमें मौके पर तैनात थीं।

कुबेरेश्वर में पहले भी हो चुके हैं हादसे
कुबेरेश्वर धाम में इससे पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दो साल पहले रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान भी भीड़ पर नियंत्रण नहीं रखा जा सका था।
उस दौरान तीन लोगों की जान गई थी (एक बच्चा और दो महिलाएं), 73 श्रद्धालु बीमार हो गए थे, कई श्रद्धालु बिना रुद्राक्ष पाए लौटे थे, महिलाओं के लापता होने की भी खबरें आई थीं.

बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं को लेकर श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में नाराज़गी है। लोगों का कहना है कि जब पहले भी हादसे हो चुके हैं, तो फिर व्यवस्थाएं पहले से मजबूत क्यों नहीं की गईं?

 

 

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