Shibu Soren Passes Away: राज्य के ‘आदिवासी मसीहा’ तीन बार के CM – तीन बार कोयला मंत्री – झारखंड की राजनीति का एक युग खत्म

Spread the love

रांची:  झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं हैं। सोमवार सुबह 8:56 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे काफी समय से बीमार थे और दो दिन पहले वेंटिलेटर पर रखे गए थे।

परिवार को छोड़ गए पीछे
शिबू सोरेन अपने पीछे पत्नी रूपी सोरेन, तीन बेटे और एक बेटी को छोड़ गए हैं। सबसे बड़े बेटे दुर्गा सोरेन का 2009 में निधन हो चुका है। बेटी अंजलि सोरेन सामाजिक कार्यकर्ता हैं। हेमंत सोरेन, झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन JMM यूथ विंग के प्रमुख हैं। हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय से विधायक हैं और दंपती के दो बेटे हैं – निखिल और अंश।

राजनीति का सफर: सीएम, सांसद और मंत्री
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन कभी भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। पहली बार 2005 में सिर्फ 10 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2008-09 और 2009-10 में दोबारा मुख्यमंत्री पद संभाला। वह कई बार दुमका से सांसद रहे और तीन बार केंद्रीय कोयला मंत्री भी बने।

झारखंड आंदोलन के नायक
1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की। 2000 में बिहार से अलग होकर जब झारखंड बना, तो शिबू सोरेन को इसका असली नेतृत्वकर्ता माना गया। 1970 के दशक में ‘धनकटनी आंदोलन’ जैसे कई संघर्षों का नेतृत्व किया।

चिरूडीह नरसंहार और अंडरग्राउंड होना
2004 में केंद्र में मंत्री बनने के बाद 1975 के चिरूडीह नरसंहार केस में गैर-जमानती वारंट जारी हुआ। पुलिस को चकमा देकर शिबू सोरेन कुछ समय के लिए अंडरग्राउंड हो गए। बाद में कोर्ट से राहत मिलने पर दोबारा मंत्री बने।

क्या था चिरूडीह नरसंहार?
झारखंड आंदोलन के दौरान दुमका जिले के चिरूडीह गांव में 11 लोगों की हत्या हुई थी। माना जाता है कि यह झड़प आदिवासियों और महाजनों के बीच जमीन के मुद्दे पर हुई थी। इस घटना के बाद शिबू सोरेन आदिवासियों के बीच और ज्यादा लोकप्रिय हो गए।

राजनीति में लंबा सफर और संघर्ष
पहली बार 1977 में लोकसभा चुनाव लड़ा, हार गए। 1980 में दुमका से जीत मिली। इसके बाद कई बार संसद पहुंचे – 1986, 1989, 1991, 1996, 2004, 2009, 2014, 2019। लंबे समय तक राज्यसभा सांसद भी रहे।

‘गुरुजी’ के नाम से पहचाने गए
शिबू सोरेन को झारखंड में ‘गुरुजी’ कहकर सम्मान दिया जाता था। उनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और आदिवासी स्वाभिमान का प्रतीक बना। उनका जाना झारखंड की राजनीति ही नहीं, देश की सामाजिक चेतना के लिए भी बड़ी क्षति है।

 

 

इसे भी पढ़ें :  Shibu Soren Passes: नहीं रहे झारखंड के ‘गुरुजी’, हेमंत सोरेन बोले- “आज मैं शून्य हो गया”


Spread the love
  • Related Posts

    Shibu Soren Passes: नहीं रहे झारखंड के ‘गुरुजी’, हेमंत सोरेन बोले- “आज मैं शून्य हो गया”

    Spread the love

    Spread the loveरांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और किडनी संबंधी बीमारी…


    Spread the love

    Deoghar Sharavani Mela 2025: सावन की अंतिम सोमवारी, कांवरियों की 5 किमी लंबी कतार से गूंजा देवघर – देखें Video

    Spread the love

    Spread the loveदेवघर:  श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। मंदिर की ओर बढ़ती कांवरियों की कतार नंदन पहाड़ पार कर…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *