
पश्चिम सिंहभूम: 18 मई की शाम आई तेज आंधी और मूसलधार बारिश ने बड़ाजामदा क्षेत्र को झकझोर दिया. एक विशाल पेड़ विद्युत लाइन पर गिरने से इलाके की बिजली व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई. 20 मई की दोपहर तक बिजली बहाल नहीं हो सकी है. इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
बिजली बंद, पानी बंद – जीवन ठहर गया
बड़ाजामदा की जल आपूर्ति प्रणाली पूरी तरह बिजली पर निर्भर है. जल मीनारों और डीप बोरिंग से पानी की आपूर्ति समरसेबल पंपों द्वारा होती है. लेकिन बिजली नहीं होने से पंप बंद हैं और लोगों के घरों में पानी नहीं पहुंच रहा.
इस पेयजल संकट के बीच लोग रेलवे स्टेशन और पास के नदी-नालों से पानी भरकर ला रहे हैं. इससे न केवल समय और मेहनत की बर्बादी हो रही है, बल्कि पानी की शुद्धता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
इन्वर्टर भी हुए बेअसर, रात में अंधकार का साम्राज्य
बिजली नहीं रहने से इन्वर्टर भी जवाब दे चुके हैं. लगातार दो दिन से चार्जिंग नहीं हो पाने के कारण शाम होते ही पूरा क्षेत्र घुप्प अंधेरे में डूब जाता है. बच्चों की पढ़ाई बाधित हो गई है और अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है.
बिजली विभाग की चुप्पी पर भड़के लोग
स्थानीय लोगों का कहना है कि बिजली विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. न तो कोई तकनीकी कर्मी क्षेत्र में पहुंचा, न ही वैकल्पिक व्यवस्था की कोई पहल की गई.
लोगों को खुद राहत कार्य करने पर मजबूर होना पड़ा है. ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग की लापरवाही और प्रशासन की निष्क्रियता ने संकट को और गंभीर बना दिया है.
मकान क्षतिग्रस्त, किस्मत से बची जान
तेज आंधी से केवल बिजली ही नहीं गई, कई घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा. बड़ाजामदा निवासी राजेश कुमार चौधरी के घर पर पेड़ की मोटी डाल गिरने से उनका मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. सौभाग्यवश कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन आर्थिक क्षति बहुत बड़ी है.
प्रशासन की खामोशी और जनता का गुस्सा
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी लोगों को खल रही है. न तो किसी अधिकारी ने स्थल का दौरा किया, न ही कोई राहत सामग्री भेजी गई.
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल नहीं की गई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
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