
देवघर: संगीतमय राम कथा आयोजन समिति की ओर से विलियम्स टाउन के चित्रकूट प्रांगण (पूर्व आईजी केडी सिंह का आवास) में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के चौथे दिन सोमवार को प्रवचनकर्ता कपिल भाई ने भगवान श्रीराम के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया. इस अवसर पर उन्होंने धनुष यज्ञ के विषय में बताया और असुरों के संहार के लिए भगवान श्रीराम के जन्म का महत्व समझाया.
विश्वामित्र का वनवास और भगवान राम का धनुष यज्ञ
कपिल भाई ने कहा कि महामुनि ज्ञानी विश्वामित्र वन में वास करते हुए ईश्वर की आराधना और पूजा करते थे. वन में कई अन्य ऋषि-मुनियों के आश्रम भी थे, जहां असुरों का एक समूह पूजा-पाठ में बाधा डालकर आतंक फैलाता था. इन असुरों के संहार के लिए विश्वामित्र अयोध्या नगरी जाकर महाराजा दशरथ से उनके दो पुत्र, राम और लक्ष्मण, को मांग कर साथ ले जाते हैं. राम और लक्ष्मण असुरों का नाश करते हैं और वनवास के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं.
धनुष यज्ञ का प्रसंग
मिथिला नगरी में धनुष यज्ञ का आयोजन होता है. राजा जनक की प्रतिज्ञा थी कि जो भी शिव धनुष को तोड़ेगा, उसे अपनी कन्या जानकी से विवाह का प्रस्ताव मिलेगा. इसके लिए विश्वभर के राजाओं और पहलवानों को निमंत्रण भेजा गया. अनेक लोग धनुष को भंग करने का प्रयास करते हैं, लेकिन वे असफल रहते हैं. अंत में मुनिवर विश्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान राम शिव धनुष को बड़े ही सरलता से भंग कर देते हैं और दोनों खंड भूमि पर रख देते हैं.
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
इस कार्यक्रम में आयोजन समिति के अध्यक्ष आरपीएम पुरी, कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, महामंत्री अंजनी कुमार मिश्रा, संयोजक योगेंद्र नारायण सिंह, सचिन पंकज सिंह भदौरिया, उमेश प्रसाद सिंह, कृष्णकांत मालवीय, संतोष कुमार, डॉ. नागेश्वर शर्मा, अवध बिहारी प्रसाद, सुनील कुमार ठाकुर, इंद्रानंद सिंह, श्यामदेव राय, गिरिश प्रसाद सिंह, रीता चौरसिया, ओपी मिश्रा, दिलीप श्रीवास्तव, भुनेश्वर प्रसाद सिंह, जयजयराम सिंह, सियाराम, सखीचन्द प्रसाद सिंह, कामानंद सिंह, राम श्रृंगार पांडेय, शंभु प्रसाद वर्मा, आशीष वाजपेयी, अर्जुन प्रसाद सिंह, शिव नंदन सिंह, शशिकांत झा, राधाकांत झा, निशा सिंह, रूबी द्वारी, संध्या, विजया सिंह, अरुण झा, अंबिका प्रसाद सिंह, अलका सोनी आदि उपस्थित थे.
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