
जमशेदपुर: जमशेदपुर के अधिवक्ताओं की संस्था कोल्हान अधिवक्ता मंच ने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सोनिक, डीजीपी रश्मि शुक्ला और मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. यह कार्रवाई न्यायपालिका के प्रति दिखाए गए असम्मान के लिए आवश्यक है.
जातीय पूर्वाग्रह और पदाधिकारियों की जिम्मेदारी
अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू का कहना है कि ये तीनों पदाधिकारी शायद अपने जातीय पूर्वाग्रह के प्रभाव में रहे हैं. लोकतंत्र में न्यायपालिका का स्थान कितना महत्वपूर्ण है, यह एक सामान्य नागरिक भी समझता है. लेकिन इतने अनुभवी और उच्च पदों पर पहुंच चुके अधिकारियों द्वारा इस बात की अनदेखी करना समझ से परे है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के स्वागत में अनदेखी
वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार जायसवाल ने कहा कि इस मामले की तह तक जाना जरूरी है. राज्य के वरीय अधिकारियों ने न्यायपालिका के सर्वोच्च संस्थान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई के राज्य स्वागत के प्रोटोकॉल और औपचारिकताओं की अनदेखी की है. यह कृत्य अनुशासनात्मक कार्रवाई का विषय होना चाहिए ताकि देश के अन्य शीर्ष पदाधिकारी के लिए यह एक उदाहरण बने.
न्यायाधीश बीआर गवई का गौरवपूर्ण इतिहास
अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा कि न्यायमूर्ति बीआर गवई के मुख्य न्यायाधीश बनने का दिन देश के लिए एक सुनहरा अध्याय है. वे बौद्ध धर्म के अनुयायी और अनुसूचित जाति से संबंधित हैं, जिन्होंने न्यायपालिका के शीर्ष पद पर बैठकर दबे-कुचले समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं. महाराष्ट्र से संबंधित होने के कारण प्रत्येक महाराष्ट्रीयन को उन पर गर्व होना चाहिए था. लेकिन महाराष्ट्र के कुछ पदाधिकारियों की मानसिकता ने राज्य की छवि को कलंकित किया है.
अन्य अधिवक्ताओं की भी कार्रवाई की मांग
अधिवक्ता राहुल राय, एसके सिंह, बबिता जैन, सरोज बोदरा और पार्थसारथी ने भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि ऐसे उच्च पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना आवश्यक है ताकि न्यायपालिका का सम्मान कायम रहे.
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