
पटना: बिहार में वर्ष 2025 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी प्रमुख दलों ने कमर कस ली है और चुनावी रणनीति में जुट गए हैं। इसी बीच एक चौंकाने वाली खबर ने सियासी गलियारों में सनसनी फैला दी है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है।
सोशल मीडिया पर दी गई धमकी, साइबर थाना में शिकायत
लोक जनशक्ति पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश भट्ट ने बताया कि यह धमकी सोशल मीडिया के माध्यम से दी गई है। इस संबंध में पटना स्थित साइबर थाना में विधिवत शिकायत दर्ज कराई गई है। चिराग पासवान ने भी इस विषय को गंभीरता से लेते हुए पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी है। इसके बाद पटना पुलिस ने मामले की जांच आरंभ कर दी है।
चिराग पासवान ने जीती थी हाजीपुर से लोकसभा सीट
गौरतलब है कि वर्ष 2024 के आम चुनाव में चिराग पासवान ने हाजीपुर लोकसभा सीट से बंपर जीत दर्ज की थी। वर्तमान में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट में एक केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यरत हैं. राजनीति में सक्रिय होने से पहले वे फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है।
क्या धमकी बिहार में उनकी सक्रियता का परिणाम है?
धमकी ऐसे समय में आई है जब चिराग पासवान ने सार्वजनिक मंच से बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। छपरा में आयोजित ‘नव संकल्प महासभा’ में उन्होंने स्पष्ट कहा कि— “जब मैं बिहार में चुनाव की बात करता हूँ तो कुछ लोगों को बेचैनी होती है. इसलिए आज मैं घोषणा करता हूँ कि बिहार की हर एक सीट पर चिराग पासवान खड़ा होगा.”
एनडीए में रहकर भी सब पर भारी होने का दावा
चिराग पासवान ने यह भी स्पष्ट किया कि वे एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे, लेकिन अपने बलबूते पूरे बिहार में चुनाव लड़ेंगे। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने इशारों में कहा कि कुछ ताकतें उन्हें बिहार में सक्रिय राजनीति से रोकना चाहती हैं। “मैं किसी से डरने वाला नहीं हूँ. मैं चुनाव लड़ूंगा बिहारियों के लिए, अपने भाइयों, बहनों और माताओं के लिए. बिहार को एक नई व्यवस्था दूंगा, जो उसे विकास की सही दिशा में आगे ले जाएगी.”
इसे भी पढ़ें : Bihar: पटना में व्यापारी विक्रम झा की हत्या, चुनावी वर्ष में अपराधियों के हौसले बुलंद —प्रशासन मौन क्यों?