
रांची: वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे अक्षय तृतीया कहा जाता है, सनातन धर्म में अत्यंत शुभ और पुण्यकारी मानी गई है. यह वह तिथि है, जिसमें बिना किसी विशेष मुहूर्त के किए गए सभी शुभ कार्य सदा अक्षय फल प्रदान करते हैं.
धर्मशास्त्रों में उल्लिखित है कि अक्षय तृतीया पर किया गया दान, जप, तप और तीर्थ स्नान का पुण्य न कभी घटता है, न नष्ट होता है. इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान परशुराम के आशीर्वाद की विशेष प्राप्ति मानी जाती है.
दान का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया पर दान करने को अत्यधिक पुण्यकारी बताया गया है. धर्मग्रंथों के अनुसार, विभिन्न प्रकार के दान करने से मनुष्य सुख, समृद्धि और अंततः मोक्ष की ओर अग्रसर होता है. आइए जानते हैं, इस दिन कौन-कौन से दान शुभ माने गए हैं.
1. जल दान: शीतलता का उपहार
स्कंद पुराण के अनुसार, अक्षय तृतीया पर शीतल जल का दान करने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है, जो अनेक तीर्थ यात्राओं और राजसूय यज्ञों से मिलता है. प्यासे यात्रियों को जल पिलाना और प्याऊ लगवाना त्रिदेवों की कृपा दिलाता है.
2. प्याऊ का आयोजन: विष्णुलोक में प्रतिष्ठा का मार्ग
जो भक्त इस दिन राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था करते हैं, उन्हें देवता, पितर और ऋषि-मुनियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे पुण्यात्मा विष्णुलोक में स्थान पाते हैं और उनके कुल का उद्धार होता है.
3. पंखा दान: तपती धूप में शीतलता का संदेश
गर्मियों में धूप से व्याकुल जनों को ताड़ के पंखे या हाथ से चलाने वाले पंखे दान करने का विशेष महत्व है. इस पुण्यकर्म से व्यक्ति के पापों का क्षय होता है और वह भगवान विष्णु के सान्निध्य को प्राप्त करता है.
4. अन्न दान: सर्वश्रेष्ठ पुण्य का वरदान
भूखे व्यक्ति, ब्राह्मण अथवा अतिथि को अन्न का दान करना अक्षय तृतीया पर सबसे उत्तम माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, अन्नदान भगवान को स्वयं अर्पण करने के समान है, जो जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करता है.
5. पादुका और चटाई का दान: यमदूतों से मुक्ति का साधन
जरूरतमंदों को जूते, चप्पल या पादुका दान करने से यमदूतों के भय से मुक्ति मिलती है और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है. तिनके या खजूर के पत्तों से बनी चटाई का दान करने से जीवन के समस्त क्लेश दूर होते हैं.
6. वस्त्र, फल और शरबत का दान: समस्त सुखों का अर्जन
वस्त्रों का दान इस दिन विशेष सुख और समृद्धि प्रदान करता है. वहीं, गर्मी के मौसम में फल और शरबत का दान करने से पितर संतुष्ट होते हैं और दानकर्ता के समस्त पाप क्षीण हो जाते हैं.
7. अन्य विशेष दान: दीर्घायु और यज्ञफल की प्राप्ति
दही, खांड और चावल का दान करने से दीर्घायु प्राप्त होती है, जबकि घी का दान करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य फल प्राप्त होता है. ऐसे पुण्य से विभूषित व्यक्ति अंततः विष्णुलोक में वास करता है.
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