
देवघर: विलियम्स टाउन स्थित चित्रकूट प्रांगण (पूर्व आईजी केडी सिंह का आवास) में संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन श्रीराम-सीता विवाह प्रसंग का भव्य वर्णन हुआ. नौ दिवसीय इस कथा आयोजन में मंगलवार को प्रवचनकर्ता कपिल भाई ने भक्ति भाव से भरपूर कथा के इस दिव्य अध्याय को प्रस्तुत किया.
शिव धनुष टूटा, जानकी ने पहनाई जयमाला
कपिल भाई ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने राजा जनक की सभा में सार्वजनिक रूप से शिव धनुष को भंग किया.
जनक के पुरोहित सदानंद की आज्ञा के बाद जानकी जी ने श्रीराम के गले में जयमाला पहनाई और संपूर्ण जनकपुरी ‘राम-राम’ से गूंज उठी.
परशुराम हुए क्रोधित, पर श्रीराम के वचनों से पिघले
धनुष भंग की गूंज सुनकर परशुराम क्रोधावेश में सभा में पधारे.लेकिन जब उन्होंने श्रीराम के कोमल और विनम्र वचन सुने, तो उनका क्रोध शांत हुआ.वह प्रभु श्रीराम की जय-जयकार करते हुए वन की ओर लौट गए.
बारात की तैयारी, जनकपुर में हुआ विवाह उत्सव
इसके पश्चात राजा जनक ने गुरु विश्वामित्र से मार्गदर्शन प्राप्त किया.दूत एक पत्रिका लेकर महाराज दशरथ के पास अयोध्या पहुंचा.गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में दूल्हा दल सजे-धजे जनकपुर पहुंचा. वहां श्रीराम का परिछन व आरती हुई. विवाह समारोह में राम-जानकी, भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला, एवं शत्रुघ्न-श्रुति कीर्ति का मांगलिक विवाह संपन्न हुआ. विवाहोपरांत सभी नवविवाहित जोड़े अयोध्या के लिए प्रस्थान किए.
आयोजन समिति के सदस्य रहे उपस्थित
इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष आरपीएम पुरी, कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, महामंत्री अंजनी कुमार मिश्रा, संयोजक योगेंद्र नारायण सिंह,
सचिन पंकज सिंह भदौरिया, उमेश प्रसाद सिंह, कृष्णकांत मालवीय, संतोष कुमार, डॉ. नागेश्वर शर्मा, अवध बिहारी प्रसाद,
सुनील कुमार ठाकुर, इंद्रानंद सिंह, श्यामदेव राय, गिरिश प्रसाद सिंह, रीता चौरसिया, ओपी मिश्रा, दिलीप श्रीवास्तव, भुनेश्वर प्रसाद सिंह,
जयजयराम सिंह, सियाराम, सखीचन्द प्रसाद सिंह, कामानंद सिंह, राम श्रृंगार पांडेय, शंभु प्रसाद वर्मा, आशीष वाजपेयी, अर्जुन प्रसाद सिंह,
शिवनंदन सिंह, शशिकांत झा, राधाकांत झा, निशा सिंह, रूबी द्वारी, संध्या, विजया सिंह, अरुण झा, अंबिका प्रसाद सिंह, अलका सोनी आदि उपस्थित रहे.
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