
सरायकेला: सरायकेला-खरसावां जिले में हाथियों के लगातार पलायन ने ग्रामीण इलाकों की शांति भंग कर दी है. दलमा वन्यजीव अभयारण्य से निकलकर हाथियों का झुंड अब ईचागढ़ क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है. इन गजराजों के कारण कई गांवों में फसलें नष्ट हो रही हैं और ग्रामीण घरों को नुकसान झेल रहे हैं.
वन विभाग की उदासीनता
स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग हाथियों की गतिविधियों को लेकर पूरी तरह उदासीन है. न तो रोकथाम की कोई ठोस व्यवस्था की गई है और न ही पूर्वसूचना देने का कोई तंत्र सक्रिय है. जंगलों की रक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले विभाग की यह चुप्पी अब खतरे का संकेत बन गई है.
प्राकृतिक संतुलन और मानव जीवन पर संकट
हाथियों के झुंड द्वारा आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ने से जहां एक ओर प्राकृतिक संतुलन प्रभावित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का जीवन भी असुरक्षित होता जा रहा है. लोग दिन-रात भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं. अब उनका जीवन पूरी तरह ईश्वर की कृपा पर निर्भर दिखाई दे रहा है.
क्या समाधान निकालेगा वन विभाग?
यह देखना अब दिलचस्प होगा कि वन विभाग कब जागेगा और इन बेकाबू होते हाथियों को नियंत्रित करने के लिए क्या रणनीति अपनाएगा. ग्रामीणों की मांग है कि हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए निगरानी टीम बनाई जाए और मुआवजा नीति को पारदर्शी बनाया जाए.
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