
जमशेदपुर: जमशेदपुर को औद्योगिक शहर घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यह याचिका मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहर लाल शर्मा द्वारा दायर की गई थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह की खंडपीठ ने की।
पुराने आदेश की अवहेलना का आरोप
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वर्ष 1989 में सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने जमशेदपुर में नगर निगम गठन का आदेश दिया था। परंतु, प्रभावशाली ताकतों के कारण यह आदेश आज तक लागू नहीं हो पाया।
संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
याचिका में यह भी कहा गया है कि झारखंड सरकार द्वारा 23 दिसंबर 2023 को जारी अधिसूचना, जिसमें जमशेदपुर को औद्योगिक नगर घोषित किया गया, भारतीय संविधान के 74वें संशोधन और अनुच्छेद 243-क्यू का उल्लंघन है। इन प्रावधानों के तहत शहरी क्षेत्रों में निर्वाचित स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था अनिवार्य है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में यह भी प्रस्तुत किया कि टाटा स्टील द्वारा पूरे शहर का प्रबंधन करना नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
राज्य सरकार और टाटा स्टील की दलील
वहीं झारखंड सरकार और टाटा स्टील की ओर से यह दलील दी गई कि जमशेदपुर एक सुव्यवस्थित शहर है और इसका ‘इंडस्ट्रियल टाउन’ का दर्जा उसके औद्योगिक महत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
न्यायालय की प्रारंभिक टिप्पणी
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्ट कहा कि यदि कोई विधिक प्रावधान ही वैध नहीं रहेगा, तो उसके आधार पर जारी अधिसूचना भी टिक नहीं पाएगी। फिलहाल, अदालत ने इस मामले में नोटिस जारी कर दिया है, परंतु अंतिम निर्णय अभी सुरक्षित रखा गया है। अगली सुनवाई की तिथि घोषित नहीं की गई है।
स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि यह मामला न केवल शहर के प्रशासनिक ढांचे, बल्कि नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा।
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