
जमशेदपुर: साल 2015 झारखंड की राज्यपाल थीं द्रौपदी मुर्मू. उसी वर्ष एक दर्दनाक घटना की परिणति में जन्मा बच्चा, तीन साल का ध्रुव, उनके जीवन में आया. मुर्मू ने उसे गोद लिया. तब से ध्रुव के जीवन में एक नई सुबह आई. वह राजभवन में रहता, चॉकलेट और गिफ्ट्स मिलते और उसे ‘मम्मी’ पुकारने का अधिकार मिला. लेकिन 25 जुलाई 2022 को द्रौपदी मुर्मू जब भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं, तो इस मासूम की दुनिया अचानक सूनी हो गई. तीन साल बीत चुके हैं. न कोई फोन, न संदेश, न दिवाली का उपहार. अब वह सिर्फ इंतजार करता है — कभी मम्मी याद करेंगी.
ध्रुव अब 13 साल का है. जमशेदपुर के एक बोर्डिंग स्कूल में 8वीं कक्षा में पढ़ता है. उसके पास लोहे की एक पेटी है, जिसमें चार जोड़ी कपड़े, एक तौलिया और एक जोड़ी चप्पल रखे हैं. जरूरत की चीजें — साबुन, वॉशिंग पाउडर, पेन — सब दोस्तों से उधार लेता है.
वह कहता है, “पहले मम्मी सब भेजती थीं. अब कुछ नहीं आता. जब दिवाली आती है, तो पूछता हूं – मम्मी ने कुछ भेजा क्या? जवाब नहीं में मिलता है. चुपचाप कोने में बैठ जाता हूं.”
ध्रुव को स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ टॉयलेट, बाथरूम की सफाई और किचन में झाड़ू-पोछा भी करना पड़ता है. कोई कर्मचारी नहीं है. सभी छात्र ही सारे काम करते हैं. काम न करने पर सजा और डांट मिलती है. ध्रुव कहता है, “अगर सफाई नहीं करेंगे, तो निकाल देंगे.”
ध्रुव की असली मां सुनीति झारखंड के जियान गांव में रहती हैं. वे दिव्यांग हैं और एक नक्सली गुलाछ मुंडा द्वारा बलात्कार की शिकार हुई थीं. उसी अपराध के परिणामस्वरूप ध्रुव का जन्म हुआ. गुलाछ ने न तो उन्हें अपनाया, न बच्चे को. बाद में पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई.
2015 में, जब सुनीति के पास अपने बेटे को पालने का कोई साधन नहीं था, उन्होंने एक अपील की — “कोई मेरे बच्चे को गोद ले ले.” यह गुहार द्रौपदी मुर्मू तक पहुंची. उन्होंने मां-बेटे को राजभवन बुलवाया. ध्रुव को गोद में लिया और कहा — “अब इसका जिम्मा मेरा है.”
सुनीति बताती हैं, “राजभवन में मुर्मू जी ने कहा था – अब आप अकेली नहीं हैं. मैं हमेशा संपर्क में रहूंगी.” उन्होंने घर में पाइपलाइन और योजनाओं का लाभ दिलाया. काम का वादा किया, जो आज भी अधूरा है. और जब राष्ट्रपति बनीं, तो धीरे-धीरे संवाद टूटता गया.
आखिरी बार 15 नवंबर 2022 को बिरसा मुंडा जयंती पर मुलाकात हुई थी. ध्रुव और सुनीति को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया. वहीं अंतिम बार मां और बेटे को गोद में लेकर हालचाल पूछा गया.
ध्रुव के स्कूल में प्रवेश झारखंड राजभवन की आधिकारिक प्रक्रिया के तहत हुआ था. तत्कालीन राज्यपाल के निजी सचिव ने स्कूल से संपर्क किया. दूसरी कक्षा से दसवीं तक की पूरी फीस एकसाथ जमा कर दी गई. त्योहारों पर उपहार और देखरेख की जिम्मेदारी भी राजभवन ने निभाई — लेकिन सब कुछ 2022 में रुक गया.
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