
नई दिल्ली: लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया, जिसे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में रखा. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इस विधेयक पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि सरकार को इसे जबरन थोपने के बजाय संशोधन का अवसर देना चाहिए.
संसदीय समिति की सिफारिश पर लाया गया बिल: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर लाया गया है और कैबिनेट ने इसे स्वीकृति दी है. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि हमारी समिति कांग्रेस की तरह काम नहीं करती.
विधेयक पर देशभर से मिली प्रतिक्रिया
चर्चा के दौरान किरेन रिजिजू ने बताया कि अब तक किसी भी विधेयक पर इतनी याचिकाएं नहीं आईं, जितनी इस पर प्राप्त हुई हैं. कुल 284 प्रतिनिधिमंडलों ने विभिन्न संसदीय समितियों के समक्ष अपनी राय रखी है. 25 राज्यों के वक्फ बोर्डों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसके अलावा नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों ने भी विधेयक को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए.
संसद भवन भी हो सकता था वक्फ संपत्ति?
विधेयक की चर्चा के दौरान किरेन रिजिजू ने एक बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि 2013 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने संसद भवन को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था, जिसे यूपीए सरकार ने बाद में डिनोटिफाई किया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर मोदी सरकार नहीं होती और यह संशोधन नहीं लाया जाता, तो जिस संसद में हम बैठे हैं, वह भी वक्फ संपत्ति बन जाती.
‘यूपीए होती तो न जाने कितनी संपत्तियां डिनोटिफाई हो जाती’
रिजिजू ने आगे कहा कि अगर आज भी यूपीए सत्ता में होती, तो पता नहीं कितनी और संपत्तियां डिनोटिफाई कर दी जातीं. उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कोई मनगढ़ंत बातें नहीं कर रहे, बल्कि यह सब सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है. हंगामे के बीच उन्होंने दोहराया कि मोदी सरकार नहीं होती तो यह संसद भी वक्फ संपत्ति बन जाती.
सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर जारी टकराव को देखते हुए आने वाले दिनों में संसद में और तीखी बहस होने की संभावना है.
इसे भी पढ़ें : IFS Nidhi Tewari: प्रधानमंत्री मोदी के निजी सचिव बनी निधि तिवारी, जानिए कितनी मिलेगी तनख़्वाह?