
ब्यूरो रिपोर्ट
रांचीः गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोची समझी रणनीति के तहत बुधवार को लोकसभा में झारखंड के संथाल परगना को अलग राज्य बनाने और झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की. वहीं दुबे द्वारा संथाल परगना को अलग राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर झारखंड में सियासी घमासान मच गया है. बीजेपी के नेताओं की बोलती बंद हो गई है, जबकि कांग्रेस एवं झामुमो द्वारा भाजपा पर पलटवार किया जा रहा है. दुबे की इस मांग पर पोड़ैयाहाट से कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने पलटवार करते हुए कहा है कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा संसद में संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग अत्यंत निंदनीय है. यह भाजपा और आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति का एक और ताजा उदाहरण है, जो झारखंड के लोगों के संघर्ष और बलिदान का अपमान है. झारखंड राज्य का गठन लंबे संघर्ष और अनेक शहादतों के बाद संभव हो पाया. भूमिज विद्रोह, कोल विद्रोह, और 1938 में जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में झारखंड पार्टी का गठन जैसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस संघर्ष का हिस्सा रहे हैं. इन आंदोलनों में हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, तब जाकर वर्ष 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ.
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सांसद निशिकांत दुबे को क्यों करनी पड़ी यह मांग
सबसे पहले यह समझना जरुरी है कि निशिकांत दुबे को संसद में संथाल परगना को अलग राज्य बनाने एवं झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग क्यों करनी पड़ी. इसके पीछे जो सबसे मजबूत आधार यह है कि तमाम कोशिश के बावजूद झारखंड में हालिया हुए लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन को भाजपा अपने पाले में लाने में कामयाब रही। इसके बावजूद पार्टी को संथाल परगना में करारी हार सामना करना पड़ा. 2014 से 2019 तक प्रदेश में डबल इंजन की सरकार के दौरान संथाल में विकास के लिए काफी जोर दिया गया ताकि विधानसभा में उसका लाभ मिल सके लेकिन पार्टी को सफलता नहीं मिली.
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2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुख्य मुद्दा प्रदेश में डेमोग्राफी व प्रदेश में बढ़ते बंगलादेशी और आदिवासियों की जमीन पर अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा किया जा कब्जा प्रमुख रहा. लेकिन उसका लाभ पार्टी को चुनाव में नहीं मिला. तमाम प्रयोग के बावजूद बीजेपी संथाल में अपनी पैठ नहीं बना पा रही है. जबतक संथाल में बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत नहीं करेगी, तब तक बीजेपी का प्रदेश में सरकार बनाने का सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है. यही कारण है बीजेपी संथाल को झारखंड से अलग कर बिहार के सीमांचल एवं बंगाल का कुछ हिस्सा मिला कर अलग राज्य बनाने की योजना हैं. सोची समझी रणनीति के तहत निशिकांत दुबे ने संसद में यह मांग की. दुबे की यह मांग निजी नहीं है बल्कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर दुबे ने संसद में यह मांग की है. यही कारण है प्रदेश बीजेपी के नेता दुबे की इस मांग का विरोध नहीं कर रहे हैं.
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क्या कहा था निशिकांत दुबे ने
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या में बढ़ोतरी का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया. दुबे ने कहा कि अगला परिसीमन इन्हें अलग करके होना चाहिए. क्योंकि इनके कारण आदिवासियों की सीटें कम हो सकती हैं. उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाते हुए सरकार से यह आग्रह भी किया कि इस समस्या के समाधान के लिए संथाल परगना को अलग राज्य बनाना चाहिए. इस दौरान निशिकांत दुबे ने कहा कि यदि जरूरत हो तो झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार किया जाए. (आगे भी जारी…)
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