
जमशेदपुर: हिन्दू नव वर्ष के स्वागत के लिए विभिन्न समाज के लोग अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार तैयारी कर रहे हैं. इस बार नव वर्ष की शुरुआत विभिन्न तिथियों पर होगी और हर समाज अपने तरीके से इस पर्व को मनाने के लिए तैयार है.
पारसी समाज से शुरू होगी नव वर्ष की शुरुआत
सबसे पहले पारसी समाज अपने नव वर्ष ‘नवरोज’ को 22 मार्च 2025 को मनाएगा. इसके बाद, 30 मार्च को सनातन धर्म के अनुयायी चैत्र नवरात्रि के साथ अपना नव वर्ष शुरू करेंगे, जिसके साथ कलश स्थापना होगी. इस दिन महाराष्ट्र के लोग ‘गुड़ी पड़वा’ और दक्षिण भारतीय समाज ‘उगादि’ मनाएंगे.
सिख समाज द्वारा बैसाखी का आयोजन
सिख समाज 13 अप्रैल 2025 को बैसाखी मनाएगा, जो न केवल नव वर्ष का प्रतीक है, बल्कि चार दिनों तक चलने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करेगा.
मलयाली समाज का ‘विशु’ और बंगाली समाज का ‘पोइला वैशाख’
मलयाली समाज 14 अप्रैल को ‘विशु’ मनाएगा, जबकि बंगाली समाज ‘पोइला वैशाख’ 15 अप्रैल को मनाएगा. इस दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें शहर भर के लोग भाग लेंगे. बंगाली समाज इस दिन नए कपड़े पहनकर पूजा-अर्चना करेगा और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर नव वर्ष की शुभकामनाएं देगा.
उड़ीया समाज की ‘पणा संक्रांति’ और मराठी समाज का ‘गुड़ी पड़वा’
उड़ीया समाज 14 अप्रैल को ‘पणा संक्रांति’ मनाएगा, जिसमें फल, दही, बेल और सत्तू से बने शरबत पिए जाने की परंपरा है. वहीं, मराठी समाज 30 मार्च को ‘गुड़ी पड़वा’ मनाएगा, इस दिन घरों में ‘गुड़ी’ बांधने की परंपरा है और खास पकवान जैसे पूरण पोली और श्रीखंड बनाए जाएंगे.
तेलुगु समाज का ‘उगादि’ और सिंधी समाज की ‘झूलेलाल जयंती’
दक्षिण भारतीय तेलुगु समाज 30 मार्च को ‘उगादि’ मनाएगा. इस दिन आम, मधु, मिर्चा की पच्चड़ी (चटनी) बनाई जाती है और पूजा अर्चना के साथ सुख-समृद्धि की कामना की जाती है. सिंधी समाज 21 मार्च को झूलेलाल मंदिर में ‘झूलेलाल जयंती’ मनाएगा, जिसमें ध्वजारोहण, जलाभिषेक और भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी.
नव वर्ष की खुशियों में सबका साथ
हर समाज के लोग इस नव वर्ष को अपनी सांस्कृतिक धरोहरों और परंपराओं के साथ मनाएंगे. यह समय है समाज में भाईचारे और एकता को बढ़ावा देने का, ताकि हम सभी अपने-अपने रीति-रिवाजों को सम्मान देते हुए नव वर्ष के इस पर्व को खुशी और उल्लास के साथ मनाएं.
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