DAV चिड़िया में श्रद्धा, संस्कृति और संस्कार का अनोखा संगम – हवन, कविता और पुष्पांजलि के साथ गूंजा विद्यालय परिसर

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पश्चिम सिंहभूम: डीएवी पब्लिक स्कूल, सेल-संबद्ध चिड़िया में शनिवार को भारतीय शिक्षा जगत के प्रेरणास्रोत महात्मा हंसराज की जयंती श्रद्धा, सम्मान और उल्लास के साथ मनाई गई. विद्यालय परिसर में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम में भाग लेते हुए महात्मा जी को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए.

हवन और मंगल कामनाओं से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य डॉ. शिवनारायण सिंह, वरिष्ठ शिक्षक करण सिंह आर्य और राकेश मिश्रा के नेतृत्व में हवन से हुई. हवन में सभी शिक्षक और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. संगीत शिक्षक जितेंद्र त्रिवेदी के वैदिक मंत्रोच्चारण से विद्यालय परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से गूंज उठा.

विद्यार्थियों की सहभागिता ने बढ़ाया आयोजन का गरिमा

छात्रा अन्वेशा मिश्रा और आयुष कुमार ने महात्मा हंसराज के जीवनवृत्त और आदर्शों पर विचार व्यक्त किए. प्रजा महतो और अतिसी कुमारी ने कविताओं के माध्यम से कार्यक्रम को भावपूर्ण स्वरूप प्रदान किया.

प्राचार्य का प्रेरणादायी संबोधन

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ. शिवनारायण सिंह ने कहा कि जीवन में सकारात्मक सोच को अपनाना चाहिए. उन्होंने बताया कि महात्मा हंसराज भारतीय शिक्षा के महान सुधारक, आर्य समाज आंदोलन के आधार स्तंभ और स्वामी दयानंद सरस्वती के अनन्य अनुयायी थे. उन्होंने गुरुदत्त विद्यार्थी के साथ 1 जून 1886 को लाहौर में पहला डीएवी स्कूल स्थापित किया था.

आर्य समाज और वैदिक शिक्षा का आदर्श

वरिष्ठ हिंदी शिक्षक कर्ण सिंह आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद की विचारधारा और वेदों के माध्यम से महात्मा हंसराज ने आर्य समाज की नींव को सशक्त किया. आज डीएवी स्कूल उसी परंपरा का प्रतीक है जो वैदिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा का संगम है.

सभी शिक्षक एवं कर्मचारी रहे शामिल

इस कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षकगण — राकेश कुमार मिश्रा, मौसमी दास गुप्ता, समीर प्रधान, संतोष कुमार, सुजीत कुमार, एस. के. पांडेय, मोमिता मजूमदार, सुमित सेनापति, संजू कुमारी, जितेंद्र त्रिवेदी, किशोर झा, तनमोय चटर्जी, अभीष झा, देवाशीष बेहरा, नित्यानंद भकत और सुखेन प्रसाद — विशेष रूप से उपस्थित रहे.

इसके अतिरिक्त शिक्षकेत्तर कर्मियों में दीपक सीत, महेंद्र रविदास, गणेश मुखी, बलभद्र बिंधानी और दुलारी देवी की उपस्थिति भी सराहनीय रही.

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