
रांची: झारखंड विकलांग मंच के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए एक स्वतंत्र “दिव्यांगजन विभाग” का गठन किया जाए. उन्होंने कहा कि जब तक दिव्यांगजनों के लिए पृथक विभाग नहीं बनेगा, तब तक उनकी समस्याओं का समाधान और योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं हो सकेगा.
दिव्यांगजनों की समस्याओं के लिए विशेष नीति की आवश्यकता
अरुण कुमार सिंह ने कहा कि दिव्यांगजनों की समस्याएं सामान्य जनसंख्या से भिन्न हैं. इनके समाधान के लिए अलग और विशिष्ट नीतियों तथा योजनाओं की आवश्यकता है. सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था में उनकी आवश्यकताओं को वांछित प्राथमिकता नहीं मिलती.
योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही बाधाएं
उन्होंने बताया कि वर्तमान में दिव्यांगजनों से जुड़ी योजनाएं अन्य विभागों के अधीन हैं, जिससे उनका क्रियान्वयन प्रभावी ढंग से नहीं हो पाता. एक स्वतंत्र विभाग के गठन से योजनाओं को तेजी और समर्पण के साथ लागू किया जा सकेगा.
संपर्क और सुविधा का सशक्त माध्यम
अरुण कुमार सिंह का मानना है कि स्वतंत्र विभाग के होने से दिव्यांगजन अपनी समस्याएं सीधे संबंधित अधिकारियों तक पहुँचा सकेंगे. इससे न केवल उनकी शिकायतों का त्वरित समाधान संभव होगा, बल्कि सहायता प्राप्त करना भी सरल हो जाएगा.
सांख्यिकी और निगरानी में होगा सुधार
उन्होंने यह भी कहा कि एक समर्पित विभाग से दिव्यांगजनों से जुड़ी योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा. इससे सरकारी प्रयासों का वास्तविक आकलन भी संभव होगा.
अन्य राज्यों से सीखने की आवश्यकता
अरुण कुमार सिंह ने जानकारी दी कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने पहले ही इस दिशा में पहल की है. ऐसे में झारखंड को भी दिव्यांगजनों के हित में शीघ्र ठोस कदम उठाना चाहिए.
इसे भी पढ़ें :