झारखंड की तीरंदाज राज अदिति को सरकार से मदद की उम्मीद

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आगे बढ़ने में आर्थिक तंगी बन रही बाधा, बावजूद पिता कर रहे संघर्ष.

 

जमशेदपुर : जमशेदपुर की नामदा बस्ती की रहने वाली 18 वर्षीय तीरंदाज राज अदिति, जो 8 जनवरी 2025 से उत्तराखंड में होने वाले 38वें नेशनल गेम्स में झारखंड का प्रतिनिधित्व करेंगी,  राज अदिति ने अपनी मेहनत और संघर्ष से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. हालांकि, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के तीर-धनुष के बिना ही इस मुकाबले में हिस्सा लेने जा रही हैं.

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पिता ने एक लाख 60 हजार रुपये का बैंक लोन लिया है

अदिति ने झारखंड सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है, क्योंकि उनकी माली हालत अच्छी नहीं है. सरकार के कल्याण कोष में अर्जी देने के बावजूद अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. अदिति के पिता सूर्यमणि शर्मा, जो खुद भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, बेटी के सपने को पूरा करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. सूर्यमणि शर्मा ने 2021 में पहली बार एक लाख 60 हजार रुपये का बैंक लोन लिया था, ताकि उनकी बेटी को तीर और धनुष मिल सके. इसके बाद अदिति ने नेशनल रैंकिंग और सीनियर नेशनल टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह पक्की की.

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सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भी झारखंड टीम का प्रतिनिधित्व किया है

अदिति ने वर्ष 2018 से जमशेदपुर के बर्मामाइंस स्थित आर्चरी ट्रेनिंग सेंटर (एटीसी) में कोच रोहित कुमार के मार्गदर्शन में अपनी ट्रेनिंग शुरू की थी. तब से लेकर अब तक उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. हाल ही में दिसंबर 2024 में आयोजित सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भी उन्होंने झारखंड टीम का प्रतिनिधित्व किया.

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 सरकार की मदद की जरूरत

राज अदिति का सपना है कि वह एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करें, लेकिन उनके पास अभी अंतरराष्ट्रीय मानकों के तीर और धनुष की कमी है. सूर्यमणि शर्मा ने बताया कि आर्थिक तंगी के बावजूद वे अपनी बेटी को हर संभव सहायता देने के लिए तैयार हैं, ताकि वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सके. उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह उनकी बेटी को बेहतर तीर और धनुष उपलब्ध कराएं, ताकि वह आगामी राष्ट्रीय खेलों में झारखंड का सम्मान बढ़ा सके. अदिति का यह संघर्ष और उनकी मेहनत यह सिद्ध करता है कि अगर किसी में जुनून और समर्पण हो, तो वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है, लेकिन इस संघर्ष में राज्य और सरकार की मदद से ही उनके सपने को पूरा किया जा सकता है.

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