
Jhargram : जंगलमहल स्वराज मोर्चा ने आज राज्यपाल , झारखंड के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को एक औपचारिक पत्र प्रेषित कर महान आदिवासी नेता, स्वतंत्रता सेनानी, संविधान निर्माता और ओलंपिक विजेता कैप्टन जयपाल सिंह मुंडा को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की अपील की है।
ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी
JSM के केंद्रीय कमिटी के सदस्य अरित्र महतो ने अपने पत्र में जयपाल सिंह मुंडा के जीवन और योगदान का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि वह न केवल एक कुशल प्रशासक और शिक्षा शास्त्री थे, बल्कि उन्होंने भारत के संविधान में आदिवासी अधिकारों को सुनिश्चित करने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी।
आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में सक्रिय भूमिका
जयपाल सिंह मुंडा ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व करते हुए स्वर्ण पदक दिलाया और भारत के पहले आदिवासी अंतरराष्ट्रीय खेल कप्तान बने। भारतीय सिविल सेवा में चयनित होने के बाद वे शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रहे और अफ्रीका तथा भारत के कई शैक्षणिक संस्थानों में सेवा दी। 1939 में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बनकर आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई।
खूँटी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया
उन्हें छोटानागपुर के आदिवासी ‘मरांग गोमके’ (महान नेता) कहकर सम्मानित करते हैं। 1946 में भारत की संविधान सभा के सदस्य बने और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की वकालत की। स्वतंत्रता के बाद झारखंड पार्टी की स्थापना की और 1955 में झारखंड राज्य की मांग को लेकर राज्य पुनर्गठन आयोग को ज्ञापन सौंपा। 1952 से 1970 तक लोकसभा सदस्य रहे और झारखंड के खूँटी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
राष्ट्रीय स्तर पर उचित सम्मान दिया जाए
अरित्र महतो ने कहा, “जयपाल सिंह मुंडा का जीवन एक आदर्श नेतृत्व, नैतिक साहस और जनसेवा का प्रतीक है। भारत रत्न के माध्यम से यदि उन्हें सम्मानित किया जाता है, तो यह न केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि होगी, बल्कि देश के करोड़ों लोगों को न्याय और सम्मान की भावना भी प्रदान करेगा।” जंगलमहल स्वराज मोर्चा ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि आदिवासी समाज के इस अमर सपूत को राष्ट्रीय स्तर पर उचित सम्मान दिया जाए।
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