
सरायकेला : नीमडीह प्रखंड के रघुनाथपुर गांव में दुर्गा मंदिर के सामने रविवार को कांवरियों के लिए विशेष सेवा शिविर और भंडारे का आयोजन किया गया। स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से आयोजित इस भंडारे में कांवरियों को खीर, खिचड़ी, चाय और बिस्किट जैसी सामग्री वितरित की गई।
श्रावण माह में हजारों कांवरिए नंगे पैर चलकर सुवर्णरेखा नदी का पवित्र जल अपने बर्तनों में भरते हैं और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले स्थित प्राचीन बाड़ेदा शिव मंदिर पहुंचकर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इससे पहले वे चांडिल के जयदा शिव मंदिर में जल चढ़ाकर और पूजा-अर्चना कर यात्रा की शुरुआत करते हैं।
कांवड़ यात्रा श्रावण माह में होने वाली प्राचीन परंपराओं से जुड़ी एक तीर्थयात्रा है। इसमें श्रद्धालु अपनी आस्था के प्रतीक के रूप में नंगे पैर, कंधों पर कांवड़ लिए लंबी दूरी तय करते हैं। रास्ते भर कई गांवों में सेवा शिविर और भंडारे लगाए जाते हैं, जो न केवल धार्मिक आयोजन हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सहयोग का उदाहरण भी हैं। रघुनाथपुर के ग्रामीणों ने बताया कि यह भंडारा सिर्फ खान-पान की सेवा नहीं, बल्कि “कांवड़ियों की आस्था का सम्मान” है।
इस आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय कार्यकर्ता और स्कूली बच्चे भी शामिल हुए। बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया, जो भंडारे के आयोजन में सेवा भाव से जुड़े रहे।
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