
जमशेदपुर : मजदूरों और किसानों के पहले संयुक्त कार्यक्रम की 43वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 19 जनवरी रविवार को पूरे देश के साथ पूर्वी सिंहभूम जिला में भी सीटू और किसान सभा के सदस्यों ने “किसान मजदूर एकता दिवस” मनाया , इस अवसर पर साकची के बिरसा चौक में नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों संगठनों के सैकड़ों सदस्यों ने भाग लिया। सभा की अध्यक्षता करते हुए वयोवृद्ध नेता केके त्रिपाठी ने कहा कि, 43 साल पहले 19 जनवरी, 1982 को मजदूर और किसान के मांगों के साथ दयनीय अस्तित्व में जी रहे जनता के सभी तबकों के जीवन और आजीविका सम्बंधित मांगों को लेकर, स्वतंत्र भारत के इतिहास में, पहली बार किसान और मजदूर एक दिन की देशव्यापी आम हड़ताल में शामिल हुए थे। उस दिन देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ग्रामीण हड़ताल, सड़क-नाकाबंदी, प्रदर्शनों आदि के माध्यम से देश भर में किसानों और मजदूरों के सक्रिय लामबंदी हुई थी। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर क्रूर पुलिस दमन और गोलीबारी किसानों और श्रमिकों के 10 मूल्यवान जीवन को छीन लिया था। एनडीए सरकार द्वारा उठाए जा रहे आर्थिक कदम इस बात की पुष्टि करते हैं कि वह कॉरपोरेट समर्थक, नव-उदारवादी नीतियों को और तेजी से आगे बढ़ाएगी ।
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इंफोसिस व एलएंडटी की तस्वीरें जलाकर मजदूर विरोधी रवैये का विरोध किया गया
सीटू के झारखंड महासचिव बी. देब ने बताया कि, ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने आगामी बजट पर वित्त मंत्री के सामने अपनी मांगें रखी हैं, जिनमें ,-आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी मुक्त करना, वायदा कारोबार और जमाखोरी पर रोक, सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली का प्रावधान, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क के लूट पर रोक ,फसल बीमा योजना सुविधा, पुरानी पेंशन योजना की सुविधाएं बहाल करना, आईसीडीएस जैसे योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट आवंटन असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, कृषि श्रमिकों और गिग वर्कर के लिए एक केंद्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना करना तथा बीड़ी श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए निधि प्रदान करना जैसे मांगें शामिल हैं। बैठक को जे मजूमदार, केडी प्रताप, केपी सिंह, संजय कुमार, पीआर गुप्ता, टी मुखर्जी ने भी संबोधित किया। यह बताया गया यदि बजट प्रस्तावों में इन मांगों को पूर्ण रूप से शामिल नहीं किया गया तो 5 फरवरी को केंद्रीय ट्रेड यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देशभर में संयुक्त विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सभा के अंत में इंफोसिस और एलएंडटी के प्रमुखों की तस्वीरें जलाकर उनके मजदूर विरोधी रवैये का विरोध किया गया।
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