
चाईबासा: जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार की नीति की आलोचना पर भाजपा ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. पश्चिमी सिंहभूम भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी व प्रवक्ता जितेंद्र नाथ ओझा ने एक प्रेस बयान जारी कर कांग्रेस की मंशा पर सवाल खड़े किए और 70 वर्षों की विफलताओं की ओर संकेत किया. ओझा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब पहली बार जातीय जनगणना को लेकर ईमानदार पहल की गई, तो कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों में घबराहट देखी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए कभी भी पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की वास्तविक स्थिति जानने का प्रयास नहीं किया.
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“वोटबैंक की राजनीति ने किया समाज को भ्रमित”
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के लिए समाज को गुमराह किया, लेकिन जातीय आंकड़ों से हमेशा कतराती रही. अब जब मोदी सरकार ने आंकड़ों की पारदर्शिता के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं, तो विपक्ष विचलित होकर बहानेबाज़ी पर उतर आया है.
धर्म कोड बनाम जातीय आंकड़े: किसकी राजनीति?
ओझा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह धर्म कोड का मुद्दा उठाकर मुस्लिम और ईसाई समुदाय की जातियों की गिनती से ध्यान भटका रही है. उन्होंने कहा कि यह नीति तुष्टिकरण की है, जिसे जनता अब पहचान चुकी है.
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“जातीय जनगणना से सुनिश्चित होगी वास्तविक भागीदारी”
ओझा के अनुसार, जातीय जनगणना के माध्यम से वंचित तबकों को सांख्यिकीय आधार पर भागीदारी मिल सकेगी, जिससे कांग्रेस जैसी पार्टियां भयभीत हैं. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार हर जाति को उसका वास्तविक प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है.
अधिसूचना प्रक्रिया का हिस्सा, विपक्ष का विरोध निराधार
अंत में उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना की अधिसूचना एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है. बजट और प्रारूप समयानुसार तय होंगे. उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग 70 वर्षों में एक कदम नहीं बढ़ा सके, वे आज सवाल उठाने की नैतिक स्थिति में नहीं हैं.
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