
गुवा: SAIL द्वारा झारखंड समूह की खदान इकाइयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्णय के बाद उत्पन्न विवाद को सुलझाने के उद्देश्य से धनबाद में त्रिपक्षीय सुलह वार्ता आयोजित की गई. यह बैठक केंद्रीय उप मुख्य श्रम आयुक्त की मध्यस्थता में संपन्न हुई, जिसमें सेल प्रबंधन, बोकारो स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) और श्रम विभाग के अधिकारी मौजूद रहे.
1 जुलाई से लागू आदेश का यूनियन ने किया विरोध
सेल प्रबंधन ने 1 जुलाई 2025 से बायोमेट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था. यूनियन ने इस आदेश को श्रमिक विरोधी और तुगलकी फरमान करार देते हुए औद्योगिक विवाद के तहत चुनौती दी थी. यूनियन का कहना है कि यह फैसला बिना किसी पूर्व सहमति के थोप दिया गया है.
बैठक में शामिल रहे दोनों पक्षों के प्रमुख प्रतिनिधि
बैठक में यूनियन की ओर से उपाध्यक्ष नवल किशोर सिंह, गुवा से तूफान घोष, किरीबुरु से विद्युत सरकार, दीपक कुमार राम, मेघाहातुबुरु से बीरबल गुड़िया और चिरिया से विशाल कुमार शामिल हुए. वहीं, सेल प्रबंधन की ओर से मानव संसाधन विभाग के मुख्य महाप्रबंधक धीरेन्द्र मिश्रा, चिरिया महाप्रबंधक विकास दयाल, चन्दन घोष और अमित विश्वास उपस्थित थे.
एनजेसीएस समझौते को लेकर उठा विवाद
सेल प्रबंधन का तर्क था कि बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली 2012 के एनजेसीएस समझौते के तहत लागू की जा रही है. जबकि यूनियन ने स्पष्ट किया कि खान मजदूरों पर एनजेसीएस बाध्यकारी नहीं है, क्योंकि खनन क्षेत्र के प्रतिनिधियों को उस समझौते में समुचित भागीदारी नहीं दी गई थी.
त्रिपक्षीय समझौते की मांग, लेकिन प्रबंधन ने किया इनकार
यूनियन ने मांग रखी कि जब तक कोई त्रिपक्षीय लिखित समझौता नहीं होता, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि बायोमेट्रिक प्रणाली लागू होने के बावजूद पारंपरिक श्रमिक लाभों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, तब तक यह व्यवस्था स्थगित की जाए. लेकिन सेल प्रबंधन ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया और किसी भी त्रिपक्षीय समझौते से इनकार कर दिया.
दोनों पक्ष अडिग, अगली बैठक 6 अगस्त को
सेल प्रबंधन और यूनियन दोनों ही अपनी-अपनी मांगों पर अडिग रहे. किसी भी सहमति पर हस्ताक्षर नहीं हुए. अंततः केंद्रीय उप मुख्य श्रम आयुक्त ने मामले को अगली बैठक तक स्थगित कर दिया. अब यह बैठक 6 अगस्त 2025 को धनबाद में आयोजित की जाएगी.
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