
जादूगोड़ा: यूसिल में तबादले का आदेश हवा में उड़ाया जा रहा है। कंपनी के परचेज विभाग के अधिकारी एस के बर्मन, तबादला होने के बावजूद जादूगोड़ा में ही जमे हुए हैं। इससे सवाल उठ रहा है कि क्या वे खुद को कंपनी और कानून दोनों से ऊपर मानते हैं?
एस के बर्मन का 24 जून को तबादला झारखंड से बाहर, आंध्रप्रदेश के तुम्मापल्ली यूरेनियम प्रोजेक्ट में किया गया था। लेकिन आदेश के बावजूद वे अब तक जादूगोड़ा यूनिट में बने हुए हैं। वहीं कंपनी के बाकी 18 अधिकारियों ने आदेश का पालन करते हुए नई जगह योगदान दे दिया है।
बर्मन के रुकने को लेकर आरोप लग रहा है कि उन्हें यूसिल के तकनीकी निदेशक मनोज कुमार का समर्थन प्राप्त है। यही कारण है कि वे तबादले के बाद भी बिना किसी डर के पुराने पद पर बने हुए हैं। लोगों का कहना है कि तकनीकी निदेशक की चुप्पी से मामला संदिग्ध हो गया है।
कर्मचारियों पर सख्ती, अफसरों पर नरमी!
जहां सामान्य कर्मचारियों पर कार्रवाई करने में यूसिल प्रबंधन और तकनीकी निदेशक मनोज कुमार पूरी सख्ती दिखाते हैं, वहीं उच्च अधिकारियों के मामले में चुप्पी साध ली जाती है। मजदूरों को झूठे आरोपों में सज़ा दी जाती है, लेकिन एस के बर्मन जैसे अधिकारी को संरक्षण मिल रहा है।
कानून का डर खत्म होता दिख रहा
यूसिल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में तबादला आदेश की अनदेखी और प्रबंधन की चुप्पी से कानून का डर खत्म होता नजर आ रहा है। इससे कंपनी के अंदर अनुशासन, पारदर्शिता और प्रशासनिक मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं।
प्रबंधन की भूमिका पर भी उठे सवाल
यूसिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डॉ. संतोष सतपति की ओर से तबादला आदेश तो जारी हुआ, लेकिन उस आदेश का पालन कब और कैसे होगा? क्या वे इस मामले में सख्ती दिखाकर कानून का राज स्थापित करेंगे या तमाशा देखते रहेंगे — यह अब देखने वाली बात होगी।
इसे भी पढ़ें : Priyanka Gandhi: भाई के समर्थन में प्रियंका का बड़ा बयान – ‘कोई जज तय नहीं करेगा कौन भारतीय है’