
नई दिल्ली: 26 अगस्त 2014 को भाजपा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह सूचना दी थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी को ससम्मान मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया जाएगा. इसके बाद कयास लगाए गए थे कि अब ये नेता सक्रिय राजनीति से बाहर हो जाएंगे, और यही हुआ भी. 2019 के लोकसभा चुनावों में आडवाणी, जोशी और सुमित्रा महाजन जैसे वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं मिला. अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे, तो सवाल उठता है कि मोदी के बाद भाजपा का नेतृत्व कौन संभालेगा?
क्या मोदी का उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ, नीतिन गडकरी या राजनाथ सिंह होंगे?
प्रधानमंत्री मोदी के बाद सबसे चर्चित नाम योगी आदित्यनाथ, नीतिन गडकरी और राजनाथ सिंह के हैं. हालांकि, इन तीनों के सामने कुछ आंतरिक और सामाजिक मुद्दे हैं, जो उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त नहीं बनाते. योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्व छवि भाजपा की राष्ट्रीय छवि के अनुरूप नहीं है. वहीं, नीतिन गडकरी की स्वतंत्र शैली और चुनावी रणनीतियों में सतर्कता की कमी उन्हें भाजपा के मौजूदा नेतृत्व के लिए उपयुक्त नहीं बनाती. राजनाथ सिंह, जो अब 73 वर्ष के हो चुके हैं, उनकी उम्र और लोकप्रियता की कमी उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए कमजोर उम्मीदवार बना देती है.
क्या कांग्रेस से आए नेता मोदी के उत्तराधिकारी हो सकते हैं?
कांग्रेस के नेताओं जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया और हिमंत बिस्वा शर्मा की प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी को लेकर चर्चा होती रहती है. हालांकि, बिस्वा असम और पूर्वोत्तर में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं, लेकिन सिंधिया और बिस्वा की लोकप्रियता देशभर में सीमित है. इनके पास केंद्रीय नेतृत्व और पार्टी की विचारधारा के अनुरूप एक मजबूत पहचान बनाने में वक्त लगेगा.
क्या एस. जयशंकर प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं?
वर्तमान विदेश मंत्री एस. जयशंकर का नाम भी प्रधानमंत्री पद के लिए चर्चा में है. वह प्रधानमंत्री मोदी के करीबी हैं और प्रशासनिक कार्यों में उनकी अच्छी पकड़ है. हालांकि, जयशंकर के पास कोई जनाधार नहीं है और न ही उनका जमीनी राजनीति का अनुभव है. यही कारण है कि उनकी प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी कमजोर नजर आती है.
क्या बीजेपी के नेतृत्व में नया चेहरा उभरकर आएगा?
मोदी-शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में नए और प्रभावशाली नेताओं को कमान दी है. यही परंपरा मोदी के बाद भी जारी रह सकती है. ऐसे नेता की आवश्यकता होगी, जो प्रशासनिक कार्यों में निपुण हो और सत्ता संभालने में सक्षम हो. ऐसे नेता का ट्रैक रिकॉर्ड भले ही अब तक कुछ खास न हो, लेकिन उसमें रिकॉर्ड तोड़ने की क्षमता होनी चाहिए.