Jamshedpur : सरस्वती पूजा 3 को, मां शारदे की प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं मूर्तिकार   

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पूजा को लेकर बाजार में बढ़ी चहल-पहल, पंडाल निर्माण में आयी तेजी

जमशेदपुर (सुनील शर्मा) : विद्या की देवी मां शारदे की अराधना वैसे तो भक्त एवं विद्यार्थी सालों भर करते हैं. लेकिन विद्यावाहिनी की विशेष पूजा माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होती है. जिसे वसंत पंचमी भी कहा जाता है. इस वर्ष 3 फरवरी को सरस्वती पूजा होनी है. इसके लिए शहर-देहात में तैयारियां तेज हो गई है. मूर्तिकार जहां प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. वहीं जगह-जगह पंडाल का निर्माण भी अंतिम चरण में है. शहर में चौक-चौराहों पर विद्या की देवी की छोटी प्रतिमाओं की बिक्री भी शुरु हो गई है. प्रतिमा की खरीददारी करते हुए लोगों को देखा जा सकता है. पूजा को लेकर शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में सैकड़ों जगहों पर पंडाल का निर्माण होता है. वहीं कहीं-कहीं मेला का भी आयोजन होता है. मेला में झूला लगाने एवं सजावट का काम तेजी से चल रहा है. पूजा को लेकर दुकानों में भी चहल-चहल पहल बढ़ने लगी है.

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तीन पीढ़ी से दुलाल पाल का परिवार कर रहा प्रतिमाओं का निर्माण

 

टाटानगर स्टेशन से सटे ट्राफिक कॉलोनी में रहने वाले दुलाल पाल का परिवार तीन पीढ़ी से देवी-देवताओं की प्रतिमा का निर्माण कर रहा है. मूलत: पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले दुलाल पाल के नाना 55 वर्ष पहले टाटानगर आए. यहां आकर वे देवी-देवताओं की प्रतिमा का निर्माण करने लगे. धीरे-धीरे आकर्षण बढ़ते गया तथा इस कार्य में उनकी पुत्री शुष्मा पाल हांथ बंटाने लगी. धीरे-धीरे वह भी मूर्ति का निर्माण करने लगी. पिता ज्ञान पाल की मृत्यू के बाद शुष्मा पाल ने यह कारोबार संभाल लिया. उन्हें दूर-दूर से मूर्ति निर्माण का ऑर्डर आने लगा. धीरे-धीरे उनके पुत्र दुलाल पाल भी इस कार्य में हांथ बंटाने लगे. देखते-देखते दुलाल पाल एवं सफल मूर्तिकार बन गए. तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. निरकालांतर में का पालन पोषण उनके नाना ज्ञान पाल के घर में हुआ.

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इक्को फ्रेंडली कलर का करते हैं इस्तेमाल

मूर्तिकार दुलाल पाल ने बताया कि प्रारंभ में प्रतिमाओं के निर्माण में पक्का कलर का इस्तेमाल होता था. लेकिन पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इक्को फ्रेंडली कलर का इस्तेमाल करने लगे. बातचीत के दौरान दुलाल पाल ने बताया कि वे अधिकांश प्रतिमाओं में मिट्टी कलर का ही इस्तेमाल करते हैं. जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे.

200 से लेकर 20 हजार की मूर्ति उपलब्ध है

मूर्तिकार दुलाल पाल छोटी प्रतिमा से लेकर बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं. यहां तक की ऑर्डर के हिसाब से उसकी सजावट भी करते हैं. उन्होंने बताया कि वे 200 रुपये से लेकर 20 हजार अथवा उससे ज्यादा मूल्य की प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं. उनके यहां बिना ऑर्डर के भी प्रतिमा उपलब्ध रहती है. जिसे आवश्यकता के हिसाब से लोग ले जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिमाओं का निर्माण कराने के लिए पश्चिम बंगाल एवं अन्य जगहों से कारीगर बुलाना पड़ता हैं. जिससे समय पर प्रतिमाओं का निर्माण पूरा किया जा सके.

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