जमशेदपुर: जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने चाईबासा ब्लड बैंक से थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की घटना पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि केवल सिविल सर्जन को निलंबित करना पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि झारखंड के सभी सरकारी ब्लड बैंक इसी तरह की अराजकता के शिकार हैं और इसके लिए स्वास्थ्य विभाग का मंत्रालय और सचिवालय जिम्मेदार हैं।
स्वास्थ्य मंत्री और सचिव से स्पष्टीकरण की मांग
सरयू राय ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव से स्पष्ट रूप से पूछा जाना चाहिए कि झारखंड में राष्ट्रीय रक्त नीति (National Blood Policy) के प्रावधान क्यों लागू नहीं किए गए। उन्होंने बताया कि राज्य के किसी भी सदर अस्पताल के ब्लड बैंक राष्ट्रीय रक्त नीति के मानकों पर खरे नहीं उतरते।
ब्लड सेपरेशन युनिट की कमी
सरयू राय ने कहा कि झारखंड के 24 जिलों के सदर अस्पतालों में केवल रांची सदर अस्पताल में ही ब्लड सेपरेशन युनिट कार्यरत है। इसके अलावा रिम्स और एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर में यह सुविधा मौजूद है। अन्य जिलों में प्लेटलेट्स, आरबीसी और प्लाज्मा अलग करने की सुविधा नहीं है। इस वजह से थैलेसीमिया जैसे मरीजों को पूरा रक्त चढ़ाया जाता है, जबकि उचित सुविधा होती तो केवल आवश्यक घटक ही चढ़ाया जाता।
राष्ट्रीय ब्लड नीति की अवहेलना
सरयू राय ने कहा कि राज्य के अधिकांश अस्पतालों में ब्लड बैंक के लिए स्वतंत्र चिकित्सक नियुक्त नहीं हैं। सभी ब्लड बैंक प्रभारी चिकित्सा प्रभारी द्वारा चलाए जा रहे हैं, जो राष्ट्रीय ब्लड नीति के खिलाफ है। तकनीकी प्रावधानों में से कोई भी झारखंड में लागू नहीं है और सचिवालय स्तर पर किसी भी प्रकार की मॉनिटरिंग नहीं हो रही।
सरकार पर जिम्मेदारी ठहराई
सरयू राय ने कहा कि राष्ट्रीय ब्लड नीति लागू न होने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह जिम्मेदार है। यदि सरकार उच्चतम स्तर पर ऐसी लापरवाही करती रही, तो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी भगवान ही संभाले।