
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास पर 16वें वित्त आयोग के सदस्यों ने शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान झारखंड में आयोग की बैठकों, कार्यक्रमों और दौरे के उद्देश्यों पर विस्तृत चर्चा हुई.
योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाना चुनौती
मुख्यमंत्री ने आयोग के सदस्यों के समक्ष झारखंड की भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियों का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि झारखंड एक खनन-प्रधान राज्य है, जो देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है. लेकिन इसकी कीमत स्थानीय लोगों को पर्यावरणीय नुकसान, विस्थापन और भूमि क्षरण के रूप में चुकानी पड़ती है.
मुख्यमंत्री ने यह चिंता भी जताई कि खनन के बाद ज़मीन को फिर से उपजाऊ और उपयोगी बनाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की कंपनियां ढंग से नहीं निभा पा रही हैं.
गांवों के विकास के बिना राष्ट्र की प्रगति अधूरी
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, तो इसकी शुरुआत राज्यों से होनी चाहिए. और राज्य का टिकाऊ विकास तभी संभव है जब गांवों को मजबूत किया जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य को अपने स्थानीय संदर्भ में योजनाओं पर खर्च करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने मछली पालन में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए कृषि क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं जताईं.
शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका पर केंद्रित सहयोग की अपेक्षा
मुख्यमंत्री सोरेन ने राज्य में संतुलित और समावेशी विकास को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताया. उन्होंने वित्त आयोग से अपेक्षा की कि वह झारखंड जैसे राज्यों की जरूरतों को समझते हुए विशेष सहयोग प्रदान करे, विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्रों में.
बैठक में राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.
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