
जमशेदपुर: झारखंड में सिकल सेल एनीमिया की समस्या को दूर करने के लिए टाटा स्टील फाउंडेशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) झारखंड और केंद्रिय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CSIR-CCMB), हैदराबाद के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर आज हस्ताक्षर किए गए. इस पहल का उद्देश्य राज्यभर में समुदाय आधारित सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाना और स्क्रीनिंग को प्रोत्साहित करना है, ताकि इस बीमारी का बोझ कम किया जा सके.
सहमति पत्र पर हस्ताक्षर समारोह:
इस अवसर पर झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक अबू इमरान, CSIR-CCMB के जेसी बोस फैलो डॉ. गिरिराज रतन चांदक, टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (कॉर्पोरेट सेवाएं) चाणक्य चौधरी और टाटा स्टील फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौरोव रॉय सहित फाउंडेशन, NHM और CSIR-CCMB के वरिष्ठ प्रतिनिधि उपस्थित थे.
सिकल सेल परीक्षण केंद्र की स्थापना:
इस सहयोग के तहत, पूर्वी सिंहभूम जिले के कश्महाल स्थित जिला अस्पताल में एक सिकल सेल परीक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहां 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों की स्क्रीनिंग के लिए आवश्यक ढांचा तैयार किया जाएगा. यह स्क्रीनिंग झारखंड के कोल्हान क्षेत्र के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावन जिलों में होगी.इस अवसर पर चाणक्य चौधरी ने कहा, “टाटा स्टील फाउंडेशन पूर्वी भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में दुर्लभ और उपेक्षित बीमारियों पर काम करता है. सिकल सेल एनीमिया पर हमारा यह प्रयास ग्रामीण और पिछड़ी समुदायों तक समाधान पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. हम झारखंड सरकार, NHM और CSIR-CCMB के साथ साझेदारी करके इस जन्मजात बीमारी के खिलाफ समाधान लाने के लिए खुश हैं.”
नई तकनीकी और जन जागरूकता अभियान:
सिकल सेल की जांच ICMR द्वारा अनुमोदित ड्राइड ब्लड स्पॉट- पॉलिमेरेज चेन रिएक्शन (DBS-PCR) पद्धति से की जाएगी, जो एक सस्ता, प्रभावी और विश्वसनीय परीक्षण है, जिसे CSIR-CCMB के अटल टिंकरिंग लैब में स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. साथ ही, ANM, आशा कार्यकर्ताओं और टाटा स्टील फाउंडेशन के MANSI+ कर्मचारियों द्वारा फील्ड में ड्राइड ब्लड स्पॉट विधि से सामुदायिक स्तर पर नमूने एकत्र किए जाएंगे, जिन्हें परीक्षण केंद्र पर भेजा जाएगा.
सिकल सेल के रोगियों और संकट से पीड़ित व्यक्तियों को उपचार के लिए उपयुक्त सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भेजा जाएगा. इसके साथ ही, सिकल सेल के वाहक और रोगियों को इसे भविष्य पीढ़ियों तक न फैलने देने के लिए जागरूक किया जाएगा.
राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा:
यह परियोजना भारत सरकार के 2023 में घोषित राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मिशन के तहत सिकल सेल एनीमिया को 2047 तक समाप्त करने के उद्देश्य से काम कर रही है. इस मिशन के तहत लगभग सात करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी, जो 0 से 40 वर्ष के आयु समूह में हैं और जिन क्षेत्रों में सिकल सेल एनीमिया का उच्च प्रसार है. झारखंड इस मिशन का हिस्सा है और यहाँ की जनसंख्या में इस बीमारी का महत्वपूर्ण बोझ है.
इस MoU से यह सुनिश्चित होगा कि सिकल सेल एनीमिया का शीघ्र पता लग सके और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. यह परियोजना झारखंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालेगी और राज्य में सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.
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