National Herald :राहुल गांधी की तरफ से कोर्ट में दलील, संस्‍था को बेचने का नहीं बचाने का कर रहे थे प्रयास

Spread the love

नई दिल्ली : नेशनल हेराल्ड मनी लांड्रिंग मामले में शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में पक्ष रखा।चीमा ने कहा कि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की मंशा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियां बेचने की नहीं थी बल्कि इस ऐतिहासिक संस्था को बचाने की थी,जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विरासत से जुड़ी रही है। अधिवक्ता आर‌एस चीमा ने अदालत में कहा कि एजेएल नेशनल हेराल्ड जैसे अखबार प्रकाशित करने वाला केवल एक व्यावसायिक संगठन नहीं रहा,बल्कि यह स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक रहा है।चीमा की दलील थी कि कांग्रेस की कोशिश थी कि यह संस्था जीवित रहे और उससे जुड़ी ऐतिहासिक विरासत खत्म न हो। आर‌एस चीमा ने कोर्ट में ईडी पर तंज कसते हुए सवाल किया कि ईडी एजेएल का मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (एमओए) कोर्ट में रखने से क्यों हिचक रही है,चीमा ने तर्क दिया कि एजेएल कांग्रेस की विचारधारा का विस्तार था।

इसे भी पढ़ें : Jadugora: मौसीबाड़ी से लौटे प्रभु जगन्नाथ, जादूगोड़ा में रथ यात्रा की गूंज – सड़कों पर बहा श्रद्धा का सैलाब

1937 में हुई थी एजेएल की स्थापना

इसकी स्थापना वर्ष 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू,जेबी कृपलानी,रफी अहमद किदवई और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई थी।एजेएल का एमओए साफ कहता है कि उसकी नीति वही होगी जो कांग्रेस पार्टी की नीति होगी।चीमा ने दलील दी कि एजेएल ने कभी मुनाफा नहीं कमाया और आजादी के बाद से यह कभी व्यावसायिक संस्था नहीं रही।चीमा ने दलील दी कि कांग्रेस मुनाफा कमाने या बिक्री करने नहीं, बल्कि उस संस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रयासरत थी,जो आजादी के आंदोलन की विरासत का हिस्सा रही है। चीमा ने दलील दी कि एजेएल को दिया गया 90 करोड़ रुपये का कर्ज वापस लेना उद्देश्य नहीं था,बल्कि उसका पुनरुद्धार प्राथमिकता थी। अत: यह मामला पूरी तरह से एक टेढ़ी नजर से देखे गए तथ्य की तरह है।

ईडी के आरोप को बताया मनगढ़ंत व बेबुनियाद

दरअसल शुक्रवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा था कि यह पूरा मामला मनी लांड्रिंग का नहीं है क्योंकि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संस्था है,जिससे किसी तरह का निजी लाभ संभव ही नहीं है। सिंघवी ने अपनी दलील में यह भी कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लगाए सभी आरोप मनगढ़ंत और बेबुन‍ियादी हैं। शनिवार को चीमा ने सिंघवी के इसी तर्क को आगे बढ़ाया। चीमा ने अदालत में कहा कि एआईसीसी का उद्देश्य किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ लेना नहीं था। मकसद सिर्फ यह था कि एजेएल को संरक्षित किया जाए और उसे कर्ज से मुक्त किया जाए। उधर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि सोनिया गांधी,राहुल गांधी,सुमन दुबे,सैम पित्रोदा समेत अन्य नेताओं ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को धोखाधड़ी से अपने नियंत्रण में लेकर मनी लांड्रिंग की साजिश रची थी। अब वकील इन्‍हीं आरोपों को झुठलाने का प्रयास कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें : Ramgarh : सीसीएल करमा कोलियरी स्थित अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से चार लोगों की मौत 


Spread the love

Related Posts

New Delhi : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी न होते तो कश्मीर कभी भारत का अभिन्न अंग नहीं होता : गृह मंत्री

Spread the love

Spread the loveनई दिल्ली :  श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी न होते तो कश्मीर कभी भारत का…


Spread the love

Jamshedpur: बिरसानगर में बढ़ते अपराधों पर खामोश पुलिस से नाराज़ JDU

Spread the love

Spread the loveजमशेदपुर: जनता दल (यूनाइटेड) बिरसानगर इकाई के थाना अध्यक्ष शंकर कर्मकार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को बिरसानगर थाना प्रभारी से मुलाकात की और इलाके में…


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *