
नई दिल्ली: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई मौत की सजा अब रद्द कर दी गई है. यह जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय ने एक सार्वजनिक बयान में दी.
बयान में कहा गया है कि यमन की राजधानी सना में एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया. हालांकि अब तक यमन सरकार की ओर से कोई औपचारिक लिखित पुष्टि नहीं मिली है, लेकिन ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय ने कहा कि पहले स्थगित की गई यह सजा अब पूरी तरह खत्म कर दी गई है.
निमिषा प्रिया का मामला वर्ष 2018 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा है. वे केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं और 2008 में काम की तलाश में यमन गई थीं. वहां सना शहर में उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति तालाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी में क्लिनिक शुरू किया.
समय के साथ दोनों के रिश्ते बिगड़ने लगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महदी ने निमिषा का उत्पीड़न शुरू कर दिया था और उन्हें भारत लौटने से रोकने के लिए उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था.
2017 में, निमिषा ने कथित रूप से महदी को बेहोश कर पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश की, लेकिन दवा की ओवरडोज़ से उसकी मौत हो गई. यमन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया. मार्च 2018 में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और 2020 में अदालत ने मौत की सजा सुना दी.
दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलीमी ने इस सजा पर मुहर लगा दी. जनवरी 2025 में हूती विद्रोहियों के नेता महदी अल-मशात ने भी इसे मंजूरी दे दी. इसके बाद भारत में धार्मिक, सामाजिक और कूटनीतिक प्रयासों की रफ्तार तेज हो गई.
देशभर में मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और धर्मगुरुओं ने निमिषा की रिहाई के लिए अभियान चलाया. इसी क्रम में ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम के हस्तक्षेप और बातचीत से यह राहतभरी खबर सामने आई है.
अब जब सजा रद्द हो चुकी है, निमिषा की वापसी को लेकर उम्मीदें और तेज हो गई हैं. हालांकि अंतिम फैसला यमन सरकार की आधिकारिक मंजूरी के बाद ही स्पष्ट होगा.
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