Potka: सरहुल उत्सव, आदिवासी समुदाय ने की नई फसल और वर्षा के लिए प्रार्थना

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पोटका: सोमवार को पोटका प्रखंड के चाकड़ी पंचायत के ग्राम पोड़ाहातु में भूमिज समाज द्वारा पारंपरिक हादी बोंगा (सरहुल) का आयोजन किया गया. इस विशेष अवसर पर ग्राम नाया ने बताया कि हादी बोंगा उत्सव का आयोजन आदिवासी समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

नई फसल और वर्षा के लिए विशेष प्रार्थना

ग्राम नाया ने कहा कि हादी बोंगा (सरहुल) समारोह के बिना आदिवासी समुदाय के लोग नए पेड़ के फल, फूल और पत्तियों का सेवन नहीं कर सकते. यह परंपरा उनके लिए खास महत्व रखती है. इस दिन ग्रामवासियों द्वारा धान की बुवाई भी शुरू की जाती है और साथ ही, जायरा माञ और मारांग बुरू से वर्षा की प्रार्थना की जाती है, ताकि इस वर्ष भी अधिक बारिश हो और फसल अच्छी हो.

परंपराओं का आदान-प्रदान और सांस्कृतिक समागम

इस अवसर पर ग्रामवासियों ने उत्सव में भाग लिया और परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना की. हादी बोंगा (सरहुल) का आयोजन केवल एक सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए अपने पूर्वजों की परंपराओं और आस्थाओं को फिर से जीवित करने का एक माध्यम है.

आदिवासी समुदाय का सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

हादी बोंगा (सरहुल) जैसे उत्सवों का आयोजन आदिवासी समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का एक अहम हिस्सा है. यह न केवल उनकी आस्था और परंपराओं को बनाए रखने का एक तरीका है, बल्कि यह उनके जीवन में प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को भी दर्शाता है.

नए मौसम और फसलों के लिए प्रार्थना का महत्व

इस दिन की विशेषता यह भी है कि यह स्थानीय किसानों और ग्रामीणों के लिए एक नए मौसम और नई फसल की शुरुआत का प्रतीक है. हादी बोंगा के माध्यम से वे अपने समृद्धि और उर्वरता के लिए प्रार्थना करते हैं और इस परंपरा का पालन करते हुए अपने जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं.

नए मौसम की उम्मीद और परंपराओं का सम्मान

हादी बोंगा (सरहुल) से जुड़ी परंपराएं केवल आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक समागम भी है, जो समाज को एकजुट करता है. इस उत्सव के माध्यम से आदिवासी समाज न केवल अपने प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करता है, बल्कि आने वाले मौसम के लिए सकारात्मक उम्मीद भी व्यक्त करता है.

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