सरायकेला: सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया में आदिम डेवलपमेंट सोसाइटी की संयुक्त अध्यक्षता में संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में संयोजक राम हाँसदा और सचिव बाबूराम सोरेन ने बताया कि जिले में आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन का उपयोग कर हजारों उद्योग स्थापित किए गए हैं, लेकिन इन उद्योगों द्वारा CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और शुद्ध पेयजल जैसी योजनाओं में योगदान नाममात्र ही दिखाई दे रहा है।
कंपनी एक्ट 2013 की धारा 135 और झारखंड CSR नियमावली 2020 के अनुसार कंपनियों को अपने औसत लाभ का 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है। इसके बावजूद जिले में CSR नीति का सही कार्यान्वयन नहीं हो रहा है, जिससे आदिवासी समाज ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
सम्मेलन में यह भी बताया गया कि जिले में खनन कार्य तेज़ी से चल रहे हैं, जबकि राज्य सरकार द्वारा खनन से प्राप्त राजस्व का DMFT फंड प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए खर्च करने का प्रावधान है। लेकिन इस फंड का भी सही उपयोग नहीं हो रहा है।
आदिम डेवलपमेंट सोसाइटी ने निर्णय लिया है कि उसका प्रतिनिधि मंडल उपायुक्त, सरायकेला-खरसावां से मिलकर CSR और DMFT फंड के सही उपयोग की मांग करेगा।
रविन्द्र बास्के, बनमाली हांसदा, शंकर मार्डी, बाबू राम मार्डी, बिजय मुर्मू, सुनिल मार्डी और सुदन टुडू ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
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